नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनको लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है. केंद्रीय नेताओं के माध्यम से पार्टी हाईकमान ने इन राज्यों में हस्तक्षेप काफी बढ़ा दिए हैं. और समय-समय पर इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाकर और वहां केंद्रीय नेताओं को भेजकर पार्टी उन राज्यों के दिशानिर्देश तय कर रही है.
यूपी-उत्तराखंड के बाद केंद्रीय नेताओं की नजर गुजरात पर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाकर और मंत्रिमंडल के विस्तार से संबंधित और पार्टी के अंदर चल रही गतिविधियों पर आगे मुख्यमंत्री को कैसे कार्य करना है, इन तमाम बातों के लिए दिशानिर्देश तय किए गए हैं, इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ही पार्टी ने आनन-फानन में बदल दिया और अब पार्टी के केंद्रीय नेताओं की नजर गुजरात पर है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव और गुजरात के प्रभारी भूपेंद्र यादव को पार्टी ने मंगलवार को ही गुजरात रवाना कर दिया है. हालांकि दो दिन पहले ही भूपेंद्र यादव अपनी गुजरात यात्रा करके लौटे थे.
सूत्रों की माने तो भूपेंद्र यादव ने कोविड-19 के दौरान गुजरात सरकार द्वारा हुए मिसमैनेजमेंट से उपजे असंतोष से संबंधित रिपोर्ट तैयार करके आलाकमान को सौंपी थी. उसके बाद ही मंगलवार को वहां बुलाई गई पार्टी के विधायक दल की बैठक में उन्हें शामिल होने के लिए भेजा, आमतौर पर विधायक दल की बैठक में राज्य प्रभारी का होना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होता है.
गुजरात चुनाव को लेकर भाजपा बरत रही सतर्कता
सूत्रों से खबरें यह भी आ रही है कि गुजरात में 2022 के अंत में चुनाव होना है और उससे पहले पार्टी आलाकमान संगठन और सरकार में आमूलचूल परिवर्तन करना चाहता है, ताकि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों के ही गृह क्षेत्र में दोबारा सत्ता में आने में कोई बाधा न पड़े.
इससे पहले भी अपने पिछले दौरे में भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने गुजरात कोर कमेटी की बैठक की थी,जिसमें 2022 के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर अभी से शुरुआत करने के लिए नेताओं को चेताया था.
योगी आदित्यनाथ के 2022 का चुनाव लड़ेगी भाजपा
जिस तरह भाजपा ने उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन किया ठीक इसके उलट उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के कार्य के दिशानिर्देश तय किए गए और लगभग यह निर्णय लिया जा चुका है कि वहां योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा. अब देखना यह है कि इन दोनों चुनाव के बाद 2022 के अंत में जब गुजरात में चुनाव होगा है तो पार्टी उत्तराखंड के फार्मूले को अपनाती है या उत्तर प्रदेश के. यह बात अभी पार्टी तय नहीं कर पा रही है और यही वजह है कि विजय रूपाणी के लिए पार्टी के अंदर उत्पन्न हुए असंतोष को पहले विचार-विमर्श और बैठकों के माध्यम से समझाने की कोशिश में है.
पार्टी आलाकमान ने अरुण सिंह को भेजा कर्नाटक
यही नहीं कर्नाटक में भी आलाकमान ने राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह (Arun Singh) को आज ही बेंगलुरु रवाना किया है. जहां सिंह संगठन की बैठक और विधायक मंत्रियों के साथ मुलाकात करेंगे और वहां भी मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को लेकर गाहे-बगाहे चल रही अफवाह पर समीक्षा रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिससे वह आलाकमान को सौंपेंगे.
हालांकि गुजरात प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जब से सांसद सीआर पाटील को प्रदेश की कमान दी गई है तब से काफी हद तक नेताओं में मत भिन्नता की कमी आई है ऐसा सूत्रों का मानना है.
सीआर पाटिल का बयान
इस मुद्दे पर गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल (CR Patil) ने फोन लाइन पर विशेष बातचीत करते हुए बताया कि किसी भी राज्य में जब चुनाव होता है तो उससे काफी पहले ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. चुनाव से ऐन मौके पहले चुनाव की तैयारी करना हमारी पार्टी की परंपरा नहीं है. पाटिल ने कहा कि हमारी पार्टी सिर्फ चुनाव के लिए काम नहीं करती बल्कि पूरे पांच साल तक राज्य में कार्य करती रही है और यही वजह है कि अभी 2022 में जो चुनाव है, उसकी तैयारियां भी अभी से शुरू कर दी गई है और भूपेंद्र यादव जी का आना भी इन्हीं सिलसिले में है.
रूपाणी सरकार ने दूसरी लहर को अच्छे तरीके से संभाला
इस सवाल पर कि क्या कोविड-19 रूपाणी सरकार की तरफ से मिसमैनेजमेंट को लेकर कुछ असंतोष पार्टी के अंदर खड़ा हुआ है. इस बात का जवाब देते हुए पाटिल का कहना है कि यह एक ऐसी महामारी थी जो अचानक आई थी इसके बारे में किसी को भी पता नहीं था और इसमें यह कहना भी गलत नहीं होगा कि न सिर्फ गुजरात बल्कि किसी भी सरकार को इतनी भयानक महामारी का दौर आएगा, ऐसा पता नहीं था, बावजूद इसके गुजरात सरकार ने इस महामारी को बहुत अच्छी तरह से संभाला. हमारी सरकार ने ऑक्सीजन की और दवाइयों की कोई कमी नहीं होने दी. थोड़ी बहुत परेशानियां हर राज्य और यहां तक कि न सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी आई क्योंकि ऐसी महामारी को लेकर पहले से कोई सरकार अवगत नहीं थी,और न ही कोई राज्य तैयार थे.
बाकी राज्यों के नतीजों का असर गुजरात पर अधिक नहीं पड़ता
इस सवाल पर की गुजरात से पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव है क्या इन दोनों राज्य के चुनाव का असर गुजरात चुनाव पर पड़ेगा. इसके जवाब में पाटिल का कहना है कि गुजरात की अपनी अलग ही संस्कृति और व्यवस्था है गुजरात का असर पूरे भारत या अन्य राज्यों पर पड़ता है, लेकिन गुजरात में दूसरे राज्यों का असर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं डालता, क्योंकि यहां का अलग स्वभाव है और इस राज्य की अपनी अलग पहचान और परंपरा है और यहां के वोटिंग ट्रेंड भी दूसरे राज्यों से अलग हटकर है. यहां सिर्फ विकास के नाम पर चुनाव होते हैं, इसीलिए यहां यह कहना उचित होगा कि गुजरात के परिणाम पूरे देश पर जरूर असर डालते हैं, लेकिन बाकी राज्यों के परिणाम का असर गुजरात पर बहुत ज्यादा नहीं पड़ता है.