बेंगलुरु:गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. बीजेपी कर्नाटक में गुजरात मॉडल की रणनीति अपनाते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है (BJP thinking of Gujarat strategy in Karnataka). ऐसे में 20 से ज्यादा विधायकों के टिकट कटने की संभावना है (Doubt about ticket to 20 Sitting MLA).
शीर्ष सूत्रों ने जानकारी दी है कि दिल्ली बीजेपी के नेता बीस से ज्यादा विधायकों का टिकट काटने की सोच रहे हैं जिनमें से कुछ मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के मंत्रिमंडल में मंत्री हैं. कर्नाटक में मोदी-अमित शाह के निर्देशानुसार छह सौ से ज्यादा लोग अलग-अलग सर्वे के काम में लगे हैं.
उनकी रिपोर्ट के मुताबिक 20 से ज्यादा एमएलए में दोबारा जीत दर्ज करने की ताकत नहीं है. ऐसे लोगों को कितनी भी ताकत दे दी जाए, वे अपने विरोधियों पर जीत नहीं पाते हैं. इसलिए इस सर्वे को करने वाली टीमों ने रिपोर्ट भेजी है कि ऐसे उम्मीदवारों को टिकट न देना ही बेहतर है.
इन सर्वेक्षण टीमों ने उन तीन श्रेणियों की पहचान की है जो कम समर्थन देने पर जीत सकते हैं. और जो किसी भी कारण से नहीं जीत रहे हैं. या अगला चुनाव कौन जीतेगा? हारने वाला कौन होगा? सर्वे टीमों ने सीनियर्स को ब्योरा दे दिया है.
भले ही वो बसवराज बोम्मई कैबिनेट के एक मंत्री के अपने निर्वाचन क्षेत्र की प्रत्येक पंचायत में करीबी सहयोगी हो, लेकिन इन करीबी सहयोगियों के व्यवहार ने इस मंत्री के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. ऐसे में जनता का विश्वास खो चुके लोगों के बारे में बताने वाली सर्वे टीमों ने बताया कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देगी तो उनसे जीतने की उम्मीद नहीं कर सकती.
उन्होंने उनके स्थान पर निर्वाचन क्षेत्र में किसी और को टिकट देने के लाभों के बारे में विवरण भी भेजा है. गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों के मद्देनजर इस बात की प्रबल संभावना है कि भाजपा नेता इसे गंभीरता से लेंगे. क्योंकि गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा भेजी गई सर्वे टीमों ने बताया था कि चालीस प्रतिशत विधायक नहीं जीतेंगे.
इस रिपोर्ट के आधार पर पार्टी ने 40 विधायकों को चुनावी टिकट से वंचित कर दिया था. इस प्रकार, टिकट खोने वालों में से सात अमित शाह के सबसे करीबी हैं. लेकिन आश्वस्त होने के बाद कि जीत की कोई संभावना नहीं है, भाजपा नेता ने चालीस विधायकों का टिकट काट दिया था.
बीजेपी खेमे में इस बात का विश्लेषण सुनने को मिल रहा है कि कर्नाटक में भी बीजेपी के नेता इसी फॉर्मूले पर चलने वाले हैं. इसने नेताओं में जिज्ञासा भी पैदा की है. यह देखा जाना बाकी है कि दिल्ली का अभिजात वर्ग गुजरात मॉडल का पालन करेगा या एक अलग रणनीति का पालन करेगा.
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