ग्वालियर।चम्बल अंचल से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत की चाबी पाने की होड़ में बीते एक महीने से भारतीय जनता पार्टी ने जहाँ अपनी जी जान झोंक रखी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह दोनों अंचल की एक एक सीट की हर गतिविधि पर टकटकी लगाए बैठें है. वे जहां खुद भी अंचल का दौरा कर रहे हैं. वहीं, जहां जिसकी जरूरत है. उसे भेजने का इंतजाम भी कर रहे है, यानी मोदी -शाह यहां अपनी हर कमजोर कड़ी जोड़कर जीत की राह आसान बनाने में लगे हैं, लेकिन प्रचार -प्रसार और नेताओं के दौरों के मामलों में फिलहाल कांग्रेस में सिर्फ सन्नाटा है. इससे उनके कार्यकर्ताओं में भी बेचैनी के साथ आशंका ही पनपने लगी है, कि कहीं उनका बना हुआ काम न बिगड़ जाए.
अंचल में हार -जीत तय करेगी सत्ता का भविष्य:ग्वालियर -चम्बल अंचल के परिणाम बीते तीन दशकों से मध्य प्रदेश की सत्ता के भाग्य का फैसला करते रहे हैं. अंचल की 34 विधानसभा सीटों में जिसकी बादशाहत कायम रही है. वहीं, भोपाल की गद्दी का हकदार बना था. 2003 ,2008 ,20013 में इस अंचल में भाजपा का परचम लहराया तो भोपाल की गद्दी पर भारतीय जनता पार्टी का कब्ज़ा रहा, लेकिन 2018 में भाजपा का यह अपराजेय गढ़ ढह गया.
अंचल की 34 में से भाजपा सिर्फ 7 सीट जीत सकी तो भोपाल की उसकी मजबूत सरकार गिर गई. हालांकि, कांग्रेस की पंद्रह महीने में ढह गई. इस बार मध्यप्रदेश के चुनावों की कमान खुद मोदी - शाह ने अपने हाथों में ले ली.
ग्वालियर चंबल अंचल की कमान सिंधिया के हाथ:भाजपा ने इस बार एक साथ अनेक फार्मूले लगाए हैं. पहले तो ज्योतिरादित्य सिंधिया. सिंधिया को कांग्रेस से निकालकर, भाजपा में शामिल करके कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश की. इसके बाद भाजपा के दिग्गजों और सिंधिया समर्थकों में छिड़ी बर्चस्व की लड़ाई को विराम देते हुए, चुनावों की कमान शिवराज सिंह की जगह खुद मोदी ने अपने हाथ में ले ली.
प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को विधानसभा चुनाव लड़ाने के फैसले में अंचल के अब तक के सबसे शक्तिशाली नेता केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी आ गए. अब वे दिमनी से प्रत्याशी हैं, लिहाजा सिंधिया स्टार प्रचारक के रूप में धुआंधार दौरे कर रहे हैं. उन्होंने भाजपा और अपने समर्थकों के बीच अनबन की खबरों के बीच, साठ से ज्यादा जातियों के सम्मेलन आयोजित कर अपनी शक्ति बढ़ाई. जिसके चलते भाजपा पर सिंधिया का प्रभाव बढ़ता गया.
अमित शाह के जयविलास में लंच और पीएम मोदी के सिंधिया स्कूल में दिए गए भाषण के जरिए, पार्टी हाईकमान ने यह सन्देश देने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि भविष्य की भाजपा की कमान सिंधिया के पास ही रहनी है. इससे सिंधिया समर्थकों की सक्रियता तो बढ़ी ही साथ ही भाजपा के कैडर ने भी उनके साथ जुड़ना तय कर लिया.