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उत्तराखंड बीजेपी में बवाल! विधायक ने पहले मांगा मंत्री का इस्तीफा, आज बदले सुर, संगठन ने दी हिदायत

Purola MLA Durgeshwar Lal And Cabinet Minister Subodh Uniyal Controversy उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के खिलाफ धरना देने वाले बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल के सुर अब बदल गए हैं. कल तक कई गंभीर आरोप लगाकर धरने पर बैठने वाले विधायक के तेवर अब ढीले पड़ गए हैं. बताया जा रहा है कि पार्टी से फटकार लगी है. इतना ही नहीं अब दोनों मंत्री और विधायक को अनुशासन बनाए रखने की हिदायत दी गई है. जानिए क्यों तमतमाए थे विधायक दुर्गेश्वर लाल और क्यों देना पड़ा धरना.

urgeshwar Lal And Cabinet Minister Subodh Uniyal Controversy
बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 3, 2024, 4:33 PM IST

बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल के बदले सुर

देहरादून (उत्तराखंड):कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के घर के बाहर मैट बिछाकर धरना देने वाले बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल के 12 घंटे के भीतर ही सुर बदल गए हैं. मंत्री उनियाल का इस्तीफा मांगने वाले विधायक के तेवर ठंडे पड़ गए हैं. अब उनका कहना है कि परिवार में झगड़ा होता है. गुस्से में कुछ बातें हो गई थी. अब दोनों ने माफी मांग ली है. बताया जा रहा है कि पार्टी की फटकार के बाद विधायक दुर्गेश्वर लाल के सुर बदले हैं.

गौर हो कि बीती रोज यानी 2 जनवरी को पुरोला से बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के बीच तीखी बहस हो गई थी. विधायक दुर्गेश्वर लाल का कहना था कि वो गोविंद पशु विहार और अपर यमुना टौंस वन प्रभाग में कार्यरत डीएफओ दंपती को हटाने की मांग को लेकर मंत्री के आवास पर पहुंचे थे. जहां उन्होंने मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए अवगत कराया कि डीएफओ लगातार जनता को परेशान कर रहे हैं और विकास कार्यों में अड़ंगा लगे रहे हैं. ऐसे में उन्हें हटाकर कहीं और अटैच कर दिया जाए.

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के घर के बाहर विधायक दुर्गेश्वर लाल ने दिया था धरना

वहीं, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने मौके पर ही प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक को बुलाया. साथ ही मामले का संज्ञान लेकर जांच के आदेश दिए. मंत्री उनियाल का आरोप था कि विधायक दुर्गेश्वर लाल ने आदेश की कॉपी फाड़ दी. जिससे मामला और गरमा गया. इसी बीच विधायक दुर्गेश्वर लाल ने भी मंत्री पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर उनकी क्षेत्र की अनदेखी करने का भी आरोप लगा दिया. इतना ही नहीं गुस्से में तमतमाए विधायक दुर्गेश्वर लाल मंत्री के आवास से बाहर निकले और धरने पर बैठ गए.
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उधर, देर शाम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोनों को बुलाकर वार्ता की. जबकि, आज बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने विधायक दुर्गेश्वर लाल को पार्टी कार्यालय में तलब किया. जहां बीजेपी विधायक और प्रदेश अध्यक्ष के बीच करीब आधे घंटे की मुलाकात हुई. सूत्र बता रहे हैं कि विधायक दुर्गेश्वर लाल को पार्टी की ओर से डांट फटकार लगाई गई है. जिस तरह पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री के घर के बाहर विधायक धरने पर बैठे, इस पर पार्टी ने सख्त रवैया अपनाया.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने अनुशासन बनाए रखने के दिए निर्देश:बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना था कि मंत्री और विधायक दोनों से मुख्यमंत्री धामी की बात हुई है. इसके बाद उनके साथ ही वार्ता हुई है. किसी की भी कोई नाराजगी नहीं है. विधायक दुर्गेश्वर लाल जनता की शिकायत को लेकर ही मंत्री से मिले थे. कभी-कभी आवेश में ऐसी चीज हो जाती है, जिसके लिए दोनों को ही अनुशासन बनाए रखने को कहा गया है.

विधायक दुर्गेश्वर लाल बोले- गुस्से में हो गई थी कुछ बातें, अब कोई नाराजगी नहीं: वहीं, बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल के सुर बदलते नजर आए. उनका कहना था यह घर की बात है और परिवार में झगड़ा होता है. एक बेटा भी अपने पिता से अधिकार से कहता है कि मुझे ये काम चाहिए. वो अपनी मांग को लेकर मंत्री के पास गए थे, लेकिन गुस्से में कुछ बातें हो गई थी. अब दोनों में कोई नाराजगी नहीं है. मंत्री के व्यवहार से उन्हें कोई नाराजगी नहीं है. उनका ध्येय जनता की सेवा करना है.
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राजनीतिक नाराजगी की संस्कृति बेहद पुरानी:इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड में राजनीतिक नाराजगी की संस्कृति बहुत पुरानी है. जिस तरह से राज्य गठन के बाद कांग्रेस की सरकार में नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में भी कांग्रेस के कुछ नेताओं में अंदर खाने लगातार नाराजगी रहा करती थी. उस दौरान भी कई अधिकारी, मंत्री-विधायकों को बाईपास कर मुख्यमंत्री से फाइलें पास करवा लेते थे.

अभी भी वही कार्य संस्कृति देखी जा रही है. हर सरकार में विधायकों में से मंत्री बनने वाला व्यक्ति, विधायकों की नहीं सुनता है तो वहीं मंत्रियों में से मुख्यमंत्री बनने वाला व्यक्ति सभी मंत्रियों को बाईपास करता है. इस तरह से राजनीतिक नाराजगी की यह संस्कृति उत्तराखंड में पुरानी है. उसी का अंजाम आज भी देखने को मिल रहा है.

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