नई दिल्ली :भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) के समर्थन में आवाज उठाने और देर रात ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में यूसीसी का विरोध करने के एक दिन बाद मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MPCI) के अध्यक्ष तस्लीम रहमानी (Tasleem Rahmani) ने कहा है कि भाजपा को इसे चुनावी मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. ईटीवी भारत से बात करते हुए तस्लीम रहमानी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने अपनी देर रात की बैठक में यूसीसी के विचार को न तो नकारा और न ही खारिज किया.
उन्होंने खुद कहा है कि वे एक मसौदा तैयार कर रहे हैं जिसे वे विधि आयोग को सौंपेंगे और इसके लिए, उन्हें कम से कम कई महीनों का समय चाहिए क्योंकि इसके लिए काफी चर्चा की आवश्यकता है. बता दें कि 2016 में भी कानून आयोग ने अपने प्रस्ताव में यूसीसी पर चर्चा के लिए कुछ समय दिया था और लोगों की राय/सुझाव मांगे थे. यह एक लंबी प्रक्रिया है और इसमें कई महीने लग सकते हैं.
उन्होंने कहा कि हम 140 करोड़ से अधिक लोगों, 3000 संस्थाओं वाला एक बड़ा देश हैं जिनके अपने धार्मिक, सांस्कृतिक या व्यक्तिगत अधिकार हैं. इसलिए, इस मुद्दे को धैर्य से निपटा जाना चाहिए, जल्दबाजी में नहीं. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा और अन्य लोगों को इस मुद्दे को राजनीतिक या चुनावी मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि यूसीसी का विरोध नहीं किया जाना चाहिए. हमें इस पर चर्चा करने की जरूरत है. देश भर के लोगों को इस पर चर्चा करने दें और अपने सुझाव प्रस्तुत करें.
इसी तरह एक अन्य मुस्लिम विद्वान रुमान हाशमी कहते हैं कि चाहे विपक्ष हो या विधि आयोग, वे पहले भी कह चुके हैं कि यूसीसी लाने का यह सही समय नहीं है. लेकिन यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. उन्होंने कहा, 'देश की स्थिति को देखिए. मणिपुर जल रहा है, लोगों को धार्मिक भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है, जैसा कि हम उत्तराखंड और अन्य राज्यों में भी देख रहे हैं. इसलिए मुझे नहीं लगता कि यूसीसी लाने का यह सही समय है. वह आगे कहते हैं कि बीजेपी ने ऐसा राजनीतिक माहौल बना दिया है कि कट्टर बीजेपी समर्थक केवल उसी का समर्थन करेंगे जो बीजेपी कह रही है और इस तरह 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के लिए एक राजनीतिक शून्य पैदा हो गया है. इसलिए विपक्ष भी तुष्टिकरण की राजनीति कर रहा है. किसी को यह समझना चाहिए कि यूसीसी लाना संविधान के भीतर और प्रथागत अधिकारों में भी कई बदलाव लाए जाएंगे और इससे बहुत सारी समस्याएं पैदा होंगी.