बेंगलुरु : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब बहुत ज्यादा दिन नहीं रह गए हैं. भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जेडीएस एक-एक सीट पर समीकरण साधने की कोशिश कर रही है. ऐसे में आपको यह जानकार हैरानी होगी, कि अगर कोई पार्टी अपने उम्मीदवार को जिताने से ज्यादा, दूसरों को हराने की रणनीति पर काम करे. जी हां, ऐसा कर्नाटक में हो रहा है.
मीडिया सूत्रों के अनुसार भाजपा यह नहीं चाहती है कि जगदीश शेट्टार किसी भी तरह से चुनाव जीतें. करीब 10 दिन पहले ही शेट्टार ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया. शेट्टार के इस फैसले से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व हैरान है. शेट्टार राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. चुनाव 10 मई को है.
शेट्टार हुबली-धारवाड़ इलाके से आते हैं. वह पिछले छह बार से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. ऐसे में वह चाहते थे कि भाजपा उन्हें एक बार और टिकट दे. लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. शेट्टार को यह फैसला रास नहीं आया. पार्टी नेतृत्व के फैसले से आहत उन्होंने न सिर्फ चुनाव लड़ने का फैसला किया, बल्कि भाजपा की प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के खेमे में चले गए.
सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद चाहते हैं कि शेट्टार को हराया जाए, ताकि पार्टी में कड़ा संदेश जा सके. कुछ सूत्रों ने दावा किया है कि शाह खुद यह रणनीति बना रहे हैं और उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा को भी कहा है कि वे शेट्टार की हार सुनिश्चित करवाएं.
कुछेक जगहों पर यह भी खबर आई है कि शाह ने हुबली-धारवाड़ के कार्यकर्ताओं और नेताओं से बातचीत की है और उनसे अपील की है कि वे पार्टी न छोड़ें. पार्टी के नेताओं का कहना है कि जिस व्यक्ति को सबकुछ दिया गया, यहां तक कि राज्य का सर्वोच्च पद सीएम भी बनाया गया, इसके बाद भी कोई व्यक्ति पार्टी छोड़ दे, तो उसे संदेश देना चाहिए.
भाजपा नेताओं ने कहा कि अगर शेट्टार निर्दलीय चुनाव लड़ते तो पार्टी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और शायद पार्टी इस तरह की रणनीति भी नहीं बनाती, लेकिन बात इससे कहीं आगे निकल चुकी है. शेट्टार के खिलाफ भाजपा के महेश तेंगिनाकायी मैदान में हैं.
सूत्रों का मानें तो शेट्टार को हराने के लिए आरएसएस को भी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. आरएसएस की एक टीम इन क्षेत्रों में शेट्टार के खिलाप चुनाव प्रचार करेगी और कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देगी.
वैसे, कांग्रेस मानती है कि शेट्टार के आने से पार्टी को बड़ा फायदा मिलेगा, खासकर उत्तरी कर्नाटक में. साथ ही क्योंकि शेट्टार लिंगायत समुदाय से हैं, लिहाजा कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि लिंगायत समुदाय की सहानुभूति भी पार्टी को प्राप्त होगी. संभवतः यही वजह है कि भाजपा ने शेट्टार का प्रभाव कम करने के लिए प्रमुख लिंगायत नेता येदियुरप्पा को इस काम में लगाया है. फिर भी शेट्टार और कांग्रेस को उम्मीद है कि जीत उनकी ही होगी और कित्तूर कर्नाटक में कांग्रेस सफल होगी.
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