कोलकाता : पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के अध्यक्ष अशोक देब ने देश के प्रधान न्यायालय को पत्र लिखकर कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को हटाने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया कि उनका रुख 'भेदभावपूर्ण' है. इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कहा कि यह न्यायपालिका पर धौंस जमाने का प्रयास है.
भाजपा ने दावा किया कि बार काउंसिल, जिसके अध्यक्ष तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बजबज के विधायक अशोक देब हैं, ने इस मांग को आगे बढ़ाया है. गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने चुनाव के बाद की हिंसा के लिए हाल ही में ममता बनर्जी नेतृत्व वाली सरकार की खिंचाई की थी.
देब ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण को अपने पत्र में कहा, 'हम आपसे माननीय न्यायमूर्ति राजेश बिंदल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से हटाने के लिए तत्काल कदम उठाने की प्रार्थना करते हैं.' हालिया कुछ मामलों का हवाला देते हुए देब ने आरोप लगाया कि 'कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश पक्षपाती हैं.'
भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी अमित मालवीय ने हालांकि दावा किया कि न्यायमूर्ति बिंदल को हटाने की मांग पूरी तरह राजनीतिक है. मालवीय ने ट्वीट किया, 'चूंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय ममता बनर्जी नेतृत्व वाली सरकार को चुनाव बाद की हिंसा पर जिम्मेदार ठहरा रहा है, इसलिए मुख्यमंत्री बार काउंसिल के नाम पर बज बज के तृणमूल विधायक अशोक कुमार देब का इस्तेमाल करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को हटाने की मांग कर रही है ? यह न्यायपालिका पर धौंस जमाने का प्रयास नहीं है ?'
मालवीय के पोस्ट को रीट्वीट करते हुए भाजपा विधायक श्रीरूपा मित्रा ने भी कहा कि यह मामला गंभीर चिंता का विषय है. इंग्लिश बाजार की विधायक मित्रा ने कहा, 'राज्यपाल के बाद अब मुख्य न्यायाधीश पर हमला हो रहा है.' छह बार के विधायक देब तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं.
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