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MP: बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव को राहत, सरकार ने नहीं दी अभियोजन की मंजूरी, हाईकोर्ट की शरण में कांग्रेस

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा का कहना है कि अपने नेता और साथी कैलाश विजयवर्गीय को बचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केस चलाए जाने की स्वीकृति ही नहीं दे रहें. उन्होंने आरोप लगाया की भ्रष्टाचारियों को बचाना भी एक बड़ा भ्रष्टाचार है.Indore Pension Scam, kailash vijayvargiya, bjp national general secretary

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Published : Sep 3, 2022, 10:58 PM IST

इंदौर। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को निगम में हुए घोटाले के मामले में विशेष कोर्ट ने राहत दी है. इंदौर नगर निगम के चर्चित पेंशन घोटाले में विजयवर्गीय की भूमिका और लेकर याचिका दाखिल की गई थी. 17 साल से राज्य शासन की अभियोजन स्वीकृति का इंतजार कर रहे इस लंबित केस को बंद कर दिया गया है. इस मामले को उजागर करने वाले कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के दावे करने वाली सीएम शिवराज सिंह मामले में अभियोजन की स्वीकृति न देकर भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम कर रहे हैं. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस हाईकोर्ट की शरण में जाएगी. उन्होंने इंदौर बेंच में याचिका दाखिल कर दी है.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव को राहत

नहीं मिली अभियोजन की मंजूरी:2005 में उजागर हुए इंदौर नगर निगम के पेंशन घोटाले को उजागर करने वाले कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने के आरोप लगाए हैं. मिश्रा का कहना है कि जल्द ही इस पूरे मामले में कांग्रेस हाईकोर्ट की शरण में जाएगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल वहां पर पिटीशन दायर कर दी गई है और आने वाले दिनों में इस पूरे मामले में सुनवाई होगी. घोटाले से जुड़े दस्तावेज कोर्ट के सामने रखे जाएंगे और इस पूरे मामले में दोषी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजवर्गीय सहित उस समय के कई भाजपा नेताओं पर कार्रवाई की मांग की जाएगी.

कैलाश विजयवर्गीय को बचा रही सरकार: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा का कहना है कि अपने नेता और साथी कैलाश विजयवर्गीय को बचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केस चलाए जाने की स्वीकृति ही नहीं दे रहें. उन्होंने आरोप लगाया की भ्रष्टाचारियों को बचाना भी एक बड़ा भ्रष्टाचार है. मिश्रा ने कहा कि एक तरफ तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भष्ट्राचार खत्म करने की बात करते हैं, तो दूसरी ओर अपने ही साथी को बचाने के लिए वह खुद भी भ्रष्टाचार कर रहे हैं. जनता उन्हें आने वाले दिनों में सबक सिखाएगी.

पीएम मोदी पर भी साधा निशाना: कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वे भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे, मोदी ने नारा दिया था ना मैं खाऊंगा, ना खाने दूंगा, लेकिन वह 8 सालों में खुद भी खाओ और हमें भी खाने दो में बदल गया. सीएम शिवराज को झूठ के पुलिंदा बताते हुए मिश्रा ने कहा कि उनकी बातों पर कोई विश्वास नहीं करता है.

न्याय की लड़ाई लड़ता रहूंगा, मुझे कोई खरीद नहीं सकता:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि मैं आखिरी तक बीजेपी के लोगों से लड़ते रहूंगा और मुझे ना ही कोई खरीद सकता है और ना ही मुझे कोई धमका सकता है.निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा किपिछले दिनों नगर निगम और नगर पंचायत में जिस तरह से चुनाव हुए और उसके बाद जिस तरह से खरीद फरोख्त का खेल चला उसे लेकर कांग्रेस पहले ही बत चुकी थी यह सब होगा. धनबल के माध्यम से बीजेपी ने कांग्रेस के प्रत्याशियों को खरीदा. एक मामले में कोर्ट ने भी सुनवाई करते हुए कलेक्टर तक पर बीजेपी के एंजेट की तरह काम करने के आरोप लगा दिए थे. ऐसे में बीजेपी से भ्रष्टाचार को खत्म करने को लेकर कोई उम्मीद नहीं लगाई जा सकती.

क्या है इंदौर नगर निगम का पेंशन घोटाला:इंदौर नगर निगम में 2005 में सामने आए कथित 'पेंशन घोटाले' में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ कांग्रेस के केके मिश्रा ने शिकायत की थी. उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया था कि-
- कैलाश विजयवर्गीय 2000 से 2005 तक इंदौर के महापौर थे, तब एमआईसी ने निराश्रितों, विधवाओं और विकलांग व्यक्तियों को नियमों को ताक पर रखते हुए पेंशन बांटी थी.
- ये पेंशन राष्ट्रीय बैंकों और डाकघरों के बजाय सहकारी संस्थानों के माध्यम से बांटी गई.
- इसमें अपात्र या मृत लोगों को भी पेंशन की बंदरबांट की गई, जिससे सरकार को 33 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
- केके मिश्रा ने इस मामले में तत्कालीन एमआईसी सदस्य रमेश मेंदोला, उमाशशि शर्मा, शंकर लालवानी, तत्कालीन निगमायुक्त संजय शुक्ला सहित 14 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.

सरकार से नहीं मिली अनुमति: नियमों के मुताबिक सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामला चलाए जाने के लिए राज्य सरकार से अभियोजन की मंजूरी आवश्यक होती है. केस में 17 साल के इंतजार के बाद भी राज्य सरकार ने अभियोजन की मंजूरी नहीं दी है. विशेष अदालत के न्यायाधीश मुकेश नाथ ने अभियोजन की मंजूरी की कमी का हवाला देते हुए विजयवर्गीय और अन्य के खिलाफ कार्रवाई बंद करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अभियोजन की अनुमति के इंतजार में अनंतकाल तक केस को लंबित नहीं रखा जा सकता. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि भविष्य में अगर सरकार ने मंजूरी देती है तो शिकायतकर्ता फिर से अदालत जा सकता है.

फिर बढ़ सकती हैं विजयवर्गीय की मुसीबतें: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा के पेंशन घोटाले को लेकर हाई कोर्ट में पिटीशन फाइल कर चुके हैं. माना जा रहा है कि मामले में सुनवाई होने पर आने वाले दिनों में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.

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