नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मंत्री एवं टीएमसी नेता अखिल गिरी के द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ की गयी 'आपत्तिजनक टिप्पणी' का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. रविवार को भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल के मंत्री और टीएमसी नेता अखिल गिरि के खिलाफ नॉर्थ एवेन्यू पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है.
लॉकेट चटर्जी ने इस मौके पर कहा,'ममता बनर्जी को बयान देना चाहिए. अखिल गिरी उनकी सरकार में मंत्री हैं, उन्हें उन्हें तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए. उन्हें दिल्ली आना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए.' चटर्जी ने आईपीसी और एससी-एसटी अधिनियम की धाराओं के तहत अखिल गिरि के खिलाफ तत्काल कार्रवाई और प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है.
वहीं, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को सवाल किया कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी गिरि को अपनी पार्टी से कब हटाएगी. ईरानी ने कहा, 'पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री टीएमसी मंत्री अखिल गिरी की राष्ट्रपति मुर्मू के खिलाफ की गई टिप्पणी के बारे में कुछ नहीं बोल रही हैं. हम उस मंत्री को नहीं सुनना चाहते, हम जानना चाहते हैं कि ममता जी अखिल गिरि को पार्टी से कब निकालेंगी.'
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल के मंत्री और टीएमसी नेता अखिल गिरि की तत्काल गिरफ्तारी और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने और उन्हें विधायक पद से भी बर्खास्त करने का प्रयास करने का अनुरोध किया.
पश्चिम बंगाल के मंत्री एवं टीएमसी नेता अखिल गिरी के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ की गयी 'आपत्तिजनक टिप्पणी' की घोर निंदा की जा रही है. इस मामले में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी घोर निंदा की.
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री:मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, 'राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर अभद्र टिप्पणी घोर निंदनीय है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को ऐसे नेता को तुरंत अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए और इस तरह की टिप्पणियों के लिए देश के सामने माफी मांगनी चाहिए. उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए.पश्चिम बंगाल की सीएम महिला हैं और उनके कैबिनेट के एक मंत्री ने हमारे आदिवासी राष्ट्रपति पर ऐसी अभद्र टिप्पणी की है. यह हमारी अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी प्रभावित करता है. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पश्चिम बंगाल सरकार आदिवासी समुदायों को परेशान करना जारी रखेगी.'