नई दिल्ली : ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अगर कभी चीन के साथ युद्ध हुआ, तो हमारी मदद अमेरिका करेगा. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि अमेरिका पर तो कोई भी भरोसा नहीं करता है, इस पर स्वामी ने अपना एक पुराना अनुभव साझा किया. स्वामी ने चंद्रशेखर सरकार के दौरान अपनी भूमिका की चर्चा की. स्वामी उस समय मंत्री थे. स्वामी ने कहा कि अगर अमेरिका को आप यह यकीन दिलाएंगे, कि उसका क्या फायदा है, तो वह जरूर आपकी मदद करेगा.
सुब्रमण्यम स्वामी से ईटीवी भारत की खास बातचीत सवाल : क्या अमेरिका पर भरोसा किया जा सकता है, क्योंकि उसका ट्रैक रिकॉर्ड सही नहीं रहा है. कोई भी देश उस पर यकीन नहीं करता है ?
स्वामी: वो इसलिए कि लोग अमेरिका को जानते नहीं. अमेरिकन्स से किस भाषा में बात करनी है, लोग नहीं जानते. चंद्रशेखर सरकार में मैं मंत्री था, तो एक दिन चंद्रशेखर ने मुझसे कहा कि वीपी सिंह ने तो पूरी तिजोरी खाली कर दी, तो कहीं से तुम 2 बिलियन डॉलर्स ले कर आओ. मैंने कहा इसके लिए अगर कुछ खास करना पड़ा तो आप करने देंगे ? उन्होंने कहा, हां कैसे भी इंतज़ाम करो वर्ना दिवालिया घोषित करना होगा सरकार को. आईएमएफ की बड़ी कड़ी शर्तें होती हैं, इसलिए उनसे पैसे लेना बड़ा मुश्किल था. लेकिन भगवान भी मदद करता है.
इस इंटरव्यू का पहला हिस्सा आप यहां देख सकते हैं
एक दिन अमेरिकी राजदूत से रिक्वेस्ट आई मिलने के लिए. वो मिले, मुझसे कहा कि हम लोग सद्दाम हुसैन से युद्ध करने वाले हैं, क्योंकि उसने कुवैत पर कब्ज़ा कर लिया है. मैंने कहा मैं उसमे आपकी क्या मदद कर सकता हूं. उन्होंने कहा कि हमें कुवैत या इराक पर हमला करने के लिए अपने फाइटर विमानों के लिए ईंधन भरवाने की ज़रूरत पड़ेगी, क्योंकि हमारे लड़ाकू जहाज़ बहुत दूर से आएंगे. हम चाहते हैं कि हमारे जहाज़ ईंधन आपके देश में उतर कर भरवाएं. मैंने कहा, हम तो नॉन एलाइंड नेशन हैं, हम ये कैसे कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि वो हम सब जानते हैं, आप ये बताओ कि करोगे कि नहीं. मैंने पूछा तुम हमारी मदद से सद्दाम को हरा दोगे तो हमें क्या मिलेगा बदले में. अमेरिकियों से इसी भाषा में बात करनी चाहिए, क्योंकि वे व्यापारी लोग हैं. अगर हम उन्हें दोस्त मानते रहेंगे, तो वो हमें गधा समझते रहेंगे. जैसे ही मैंने पूछा कि मुझे क्या मिलेगा, उन्होंने तुरंत कहा कि क्या चाहिए आपको. मैंने छूटते ही कहा- मुझे दो बिलियन डॉलर्स चाहिए, लेकिन आपसे नहीं आईएमएफ से चाहिए. आपसे लेंगे, तो लोग हमें अमेरिकी पिट्ठू कहेंगे. अमेरिकी राजदूत ने कहा कि आईएमएफ से हम कैसे करा सकते हैं आपका लोन, हमसे यानी अमेरिका से चाहिए तो दे देंगे.
मैंने कहा आईएमएफ में 87 फीसदी डोनेशन आपका देश देता है, उसी अनुपात में आपका वोट भी है. मैंने कहा मुझे आईएमएफ से ही चाहिए और बिना किसी ब्याज के चाहिए, बिना किसी शर्त के चाहिए, वर्ना हम भी आपकी मदद नहीं कर पाएंगे. उन्होंने पूछा सर्विस चार्ज के तौर पर आधे परसेंट ब्याज पर करवा दें ? मैंने कहा ठीक है.
अमेरिकी राजदूत ने पूछा कि कब चाहिए. मैंने कहा सोमवार को. राजदूत ने कहा आज तो फ्राइडे है. मैंने कहा इंडिया में फ्राइडे है, अमेरिका में तो गुरुवार है. आपके पास पूरा एक दिन है. तो दिया उन्होंने दो बिलियन डॉलर. उससे हम उस चौपट अर्थव्यवस्था से बाहर निकल पाए, जो वीपी सिंह हमारे लिए छोड़ कर गए थे. उसके बाद अमेरिकी प्रेस ने चंद्रशेखर और मेरी बहुत तारीफें छापीं. कमल मोरारका और यशवंत सिन्हा जैसे चापलूस लोगों ने भी तारीफें की. हम तो राजीव गांधी के समर्थन से सरकार में आए थे. बाद में राजीव गांधी ने सरकार ही गिरा दी.