जयपुर. राजस्थान राज्यसभा की 4 सीटों में से एक सीट पर भाजपा प्रत्याशी घनश्याम तिवाड़ी ने जीत दर्ज की है. तिवाड़ी को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोटों के अलावा और 2 अतरिक्त वोट मिले. इन चुनावों में उन्हें कुल 43 वोट मिले. राजस्थान की राजनीति में तिवाड़ी की पहचान संघनिष्ठ नेता के रूप में होती है, लेकिन परिस्थितियों के चलते तिवाड़ी का भाजपा से साथ भी छूटा और कांग्रेस का दामन भी थामा. लेकिन विचारधारा के चलते उनकी भाजपा परिवार में वापसी भी हुई और अब चुनाव जीतकर राज्यसभा में पहुंचे.
दो अतिरिक्त वोट डलवाए: इन चुनावों में प्रत्येक प्रत्याशी को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोटों की आवश्यकता होती है. इस लिहाज से भाजपा ने अपने 41 विधायकों को प्रथम वरीयता के वोट अधिकृत प्रत्याशी घनश्याम तिवारी को दिया जाना तय किया था. लेकिन भाजपा विधायक शोभारानी कुशवाहा के क्रॉस वोटिंग की चर्चा के बाद दो अन्य विधायकों के वोट भी पार्टी ने घनश्याम तिवारी के पक्ष में डलवाए. जबकि पूर्व में तय हुआ था कि बीजेपी के 71 विधायकों में से 41 विधायक घनश्याम तिवारी को वोट देंगे और बचे हुए 30 विधायक निर्दलीय भाजपा समर्थित प्रत्याशी डॉ सुभाष चंद्रा के पक्ष में वोट डालेंगे.
राज्यसभा चुनाव में घनश्याम तिवाड़ी की जीत. पढ़ें:Rajyasabha Elections: राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस तीन सीटों पर विजयी, भाजपा के घनश्याम तिवारी भी जीते
इन पदों पर रहे तिवाड़ी: 74 वर्षीय तिवाड़ी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष शिक्षित हैं. वे आपातकाल के दौरान जेल भी गए. तिवाड़ी की गिनती राजस्थान के उन नेताओं में होती है जो जनसंघ के समय से जुड़े हैं. साल 1971 से 1977 तक तिवाड़ी जनसंघ के युवा संघ के प्रदेश संयोजक रहे. वहीं साल 1977 में वे लोकतांत्रिक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री भी बने. इसी तरह जनता युवा मोर्चा के साल 1980 में प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री रहे. इसके बाद वे भाजपा में साल 1981 से 1986 तक सीकर जिले के अध्यक्ष रहे.
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साल 1986 से 1998 तक वह राजस्थान भाजपा में प्रदेश महामंत्री रहे. इसी तरह साल 1998 से 2003 के बीच प्रदेश उपाध्यक्ष और साल 1992 से 1994 तक भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे. इस दौरान वे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता की भूमिका में भी रहे. वहीं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के पद पर भी तिवाड़ी इन्हीं वर्षों में रहे. साल 1993 में वे भाजपा चुनाव घोषणा पत्र समिति के सदस्य रहे. वहीं साल 1999 में लोकसभा चुनाव के प्रदेश संयोजक बने. वे साल 2008 और 2013 में चुनाव घोषणा समिति के अध्यक्ष व सदस्य के रूप में काम कर चुके हैं.
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घनश्याम तिवाड़ी का राजनीतिक सफर:घनश्याम तिवाड़ी का बतौर जनप्रतिनिधि एक लंबा सफर रहा जो आज भी जारी (Political career of Ghanshyam Tiwari) है. तिवाड़ी छह बार विधायक रहे और अब राज्यसभा चुनाव जीतकर सांसद की नई पारी शुरू की है. घनश्याम तिवाड़ी विधायक के रुप में..
- 1980 से 1985 तक प्रथम बार विधायक (विधानसभा क्षेत्र सीकर)
- 1985 से 1989 तक दूसरी बार विधानसभा क्षेत्र सीकर से विधायक
- 1993 से 1998 तक विधानसभा क्षेत्र चौमू से विधायक
- 2003 से 2008 तक विधानसभा क्षेत्र सांगानेर से विधायक
- 2008 से 2013 तक विधानसभा क्षेत्र सांगानेर से विधायक
- 2013 से 2018 तक लगातार तीसरी बार सांगानेर से विधायक रहे
तिवारी की गिनती राजस्थान के दिग्गज राजनेताओं में होती है. छह बार विधायक बने तिवारी स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत की सरकार में उर्जा व संसदीय कार्य मंत्री रहे. तो वहीं दिसंबर 2003 से 2007 तक वसुंधरा राजे सरकार में शिक्षा मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, विधि मंत्री और साल 2007 से 2008 के बीच खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रहे.