लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सियासी महासंग्राम में अभी तक जहां समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही कांटे की टक्कर दिख रही थी. इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई नेताओं के बीजेपी से छिटक जाने से चुनावी परिदृश्य बदल गए. बीजेपी की चिंताएं बढ़ गईं. लेकिन अब अचानक बीएसपी के रफ्तार पकड़ने (BSP supremo mayawati starts active campaign) से बीजेपी को राहत मिली है. राजनीतिक पंडित तो ऐसा ही मानते हैं.
अभी तक शांत बैठी बीएसपी प्रमुख मायावती अचानक रफ्तार पकड़ रही हैं. बीजेपी को उम्मीद है अगर बीएसपी पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ गई, तो इसका खामियाजा सपा को ही भुगतना पड़ेगा. फायदा बीजेपी का ही होगा, यानी सूबे के मुखिया की कुर्सी पार्टी को आसानी से मिल जाएगी.
दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों में 19 सीट जीतने वाली बसपा के पास मौजूदा समय में सिर्फ 7 विधायक ही बचे हैं. ऐसे में बहन मायावती एक-एक सीट पर फूंक-फूंक कर फैसला ले रहीं हैं. उन्होंने हाल में ही पहली सूची जारी की है. इसमें 17% ब्राह्मण, 26% मुस्लिम और 34% दलित उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है. इसमें उनके पुराने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले की झलक मिलती है. पार्टी प्रमुख मायावती ने पहले चरण में 58 सीटों पर होने वाले चुनाव के पहले 53 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. पांच उम्मीदवारों के नाम बाद में जारी होंगे. पहली सूची में 9 ब्राह्मण, 14 मुस्लिम, 18 दलित और 10 जाटों पर भरोसा जताया गया है.
बीएसपी ने उत्तर प्रदेश में आख़िरी बार 2007 में सरकार बनाई थी. तब पार्टी को उत्तर प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 206 पर कामयाबी मिली थी. बीएसपी की जीत का सेहरा उस सोशल इंजीनियरिंग के सिर बंधा था, जिसके तहत पार्टी ब्राह्मण मतदाताओं को अपनी तरह खींचने में कामयाब रही थी. उस वक्त मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करते हुए दलित, ब्राह्मणों के साथ मुस्लिमों को साधा था. साथ ही अन्य़ कई जातियों को भी मौका दिया था.
ये है प्रदेश का जातीय समीकरण
- ओबीसी 44% - ( यादव -6.47%, कुर्मी -8.5%, गडरिया -2%, कश्यप -2%, लोढ़ा -1.82%, कुम्हार -1.48%, तेली -4.43%, कच्छी -1.34%, नाई - 1.16%, बढ़ई -1.13%, अन्य ओबीसी (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध सहित) -18%)
- दलित (एससी) 21.2% -(चमार -11.3%, पासवान-5.7%, धोबी -1.2%, कोली -1.2%, अन्य दलित - 3.6 प्रतिशत,
- आदिवासी (एसटी) 0.1%
- अगड़ी जाति - 21% ( ब्राह्मण -11.88%, राजपूत -5.28%, वैश्य -2.28%, जाट -1.7%, अन्य - 1.86%)
- शेष वोट में मुस्लिम और अन्य.
इन सीटों पर बसपा देगी सपा को कड़ी टक्कर
मथुरा की गोवर्धन सीट, छाता सीट, इगलास सीट, कोल सीट, अलीगढ़ की खैर सीट, कैराना, शामली, बुढ़ाना, चरथावल, मुजफ्फरनगर की पुरकाजी विधानसभा, खतौली, मीरापुर, गाजियाबाद की लोनी सीट, मुरादनगर, गाजियाबाद की मोदीनगर सीट, हापुड़ जिले की धौलाना सीट, गौतमबुद्ध नगर की जेवर विधानसभा सीट, बुलंदशहर की स्याना सीट, बुलंदशहर की शिकारपुर सीट समेत कई ऐसी सीटें जहां 2017 के चुनाव में बीएसपी पूरी मजबूती के साथ लड़ी थी. बीएसपी का यहां अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. अभी तक बसपा प्रमुख मायावती की ओर से प्रचार कम किए जाने और एंटी इंकबेंसी की वजह से बीजेपी को डर था कि ये वोट सपा के पाले में चला जा रहा है. बीएसपी के रफ्तार पकड़ने से यहां सपा कमजोर होगी और बीजेपी मजबूत.