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क्या केरल में 'एलडीएफ वर्सेस यूडीएफ' का चक्र तोड़ पाएगी भाजपा ? - केरल में भाजपा

भारतीय जनता पार्टी केरल में बदलाव लाने का दावा कर रही है. पार्टी का कहना है कि वह एलडीएफ और यूडीएफ के चक्र को तोड़ने का पूरा प्रयास कर रही है. लेकिन जिस पार्टी का पूरे राज्य में मजबूत सांगठनिक ढांचा न हो, और न ही उनके पास स्थानीय स्तर पर अपील करने वाला नेता हो, वह कितना बड़ा बदलाव ला पाएगी. क्या 'मेट्रो मैन' ई श्रीधरन से यह उम्मीद पूरी हो सकती है ?

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केरल में भाजपा का प्रचार

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Published : Mar 30, 2021, 8:02 PM IST

पिछले 30 सालों से केरल में वाम गठबंधन (एलीडीएफ) और कांग्रेस गठबंधन (यूडीएफ) बारी-बारी से सत्ता में आता रहा है. भारतीय जनता पार्टी दावा कर रही है वह इस क्रम पर ब्रेक लगाएगी. पर, क्या यह इतना आसान है ? भाजपा के पास न तो कोई लोकप्रिय चेहरा है और न ही पूरे राज्य में मजबूत संगठनात्मक उपस्थिति.

संभवतः इस कमी को खत्म करने के लिए ही भाजपा ने स्वच्छ छवि के तकनीकी विशेषज्ञ ई श्रीधरन को आगे किया. वह 'मेट्रो मैन' के नाम से जाने जाते हैं. मध्यम वर्ग और युवाओं के बीच उनका बहुत अधिक सम्मान है.

भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा सकता है. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने तुरंत ही इन अटकलबाजियों पर विराम लगा दिया.

श्रीधरन पलक्कड़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पीएम मोदी ने उनका प्रचार करते हुए कहा कि कांग्रेस गठबंधन और वाम गठबंधन बारी-बारी से सत्ता में आ रहा है. दोनों ही भ्रष्टाचार में शामिल हो जाते हैं. सत्ता में बने रहने के लिए उन दोनों ने मैच फिक्स कर रखा है.

पीएम मोदी ने कहा कि युवा मतदाता दोनों ही गठबंधन से निराश हो चुके हैं. इसलिए अब उन्हें नया विकल्प चाहिए. वे केरल में बदलाव देखना चाहते हैं.

2016 में भाजपा को केरल में सिर्फ एक सीट मिली थी. 2018 से भाजपा सबरीमाला मंदिर आंदोलन का समर्थन कर रही है. मंदिर के मुख्य पूजा स्थल पर 10-50 साल की महिलाओं के जाने पर पाबंदी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परंपरा के खिलाफ आदेश दिया था. उसके बाद से श्रद्धालुओं ने विरोध में आंदोलन छेड़ दिया. लेफ्ट सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन कर रही थी. भाजपा ने इसे अवसर के रूप में देखा और अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की पूरी कोशिश की.

हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में इस अभियान से भाजपा को बहुत अधिक फायदा नहीं पहुंचा. फिर भी पलक्कड़, पंडालम जैसे इलाकों में भाजपा लोकप्रिय जरूर हुई. ये इलाके सबरीमाला मंदिर के आसपास के हैं.

राजधानी थिरुवनंतपुरम में पार्टी ने यूएडीएफ वोट को नुकसान पहुंचाया था.

छिटपुट उपलब्धियां प्राप्त करने से इतर भाजपा ने कोई बड़ा बदलाव हासिल नहीं किया. पार्टी के पास अब भी मजबूत सांगठनिक ढांचा पूरे राज्य में नहीं है. उनके पास कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है. व्यापक पैमाने पर अपील नहीं है. दूसरी ओर एलडीएफ में पी विजयन जैसे नेता हैं, यूडीएफ में ओमान चांडी और रमेश चेन्निथला जैसे नेता हैं.

संभवतः इसे ध्यान में रखते हुए मोदी ने पलक्कड़ में अंग्रेजी में अपनी बात रखी. आमतौर पर पीएम मोदी हिंदी में ही अपना भाषण करते हैं.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने केरल में चुनाव प्रचार करते हुए भगवा के प्रचार जाल में न फंसने की नसीहत दी. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि राज्य की जनता यूडीएफ और एलडीएफ को बारी-बारी से चुनती रही है, उसी परंपरा को आपलोग आगे बढ़ाएं. इन्होंने विकास किया और सामाजिक सौहार्द्रता को बनाए रखा है.

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