पिछले 30 सालों से केरल में वाम गठबंधन (एलीडीएफ) और कांग्रेस गठबंधन (यूडीएफ) बारी-बारी से सत्ता में आता रहा है. भारतीय जनता पार्टी दावा कर रही है वह इस क्रम पर ब्रेक लगाएगी. पर, क्या यह इतना आसान है ? भाजपा के पास न तो कोई लोकप्रिय चेहरा है और न ही पूरे राज्य में मजबूत संगठनात्मक उपस्थिति.
संभवतः इस कमी को खत्म करने के लिए ही भाजपा ने स्वच्छ छवि के तकनीकी विशेषज्ञ ई श्रीधरन को आगे किया. वह 'मेट्रो मैन' के नाम से जाने जाते हैं. मध्यम वर्ग और युवाओं के बीच उनका बहुत अधिक सम्मान है.
भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा सकता है. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने तुरंत ही इन अटकलबाजियों पर विराम लगा दिया.
श्रीधरन पलक्कड़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पीएम मोदी ने उनका प्रचार करते हुए कहा कि कांग्रेस गठबंधन और वाम गठबंधन बारी-बारी से सत्ता में आ रहा है. दोनों ही भ्रष्टाचार में शामिल हो जाते हैं. सत्ता में बने रहने के लिए उन दोनों ने मैच फिक्स कर रखा है.
पीएम मोदी ने कहा कि युवा मतदाता दोनों ही गठबंधन से निराश हो चुके हैं. इसलिए अब उन्हें नया विकल्प चाहिए. वे केरल में बदलाव देखना चाहते हैं.
2016 में भाजपा को केरल में सिर्फ एक सीट मिली थी. 2018 से भाजपा सबरीमाला मंदिर आंदोलन का समर्थन कर रही है. मंदिर के मुख्य पूजा स्थल पर 10-50 साल की महिलाओं के जाने पर पाबंदी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परंपरा के खिलाफ आदेश दिया था. उसके बाद से श्रद्धालुओं ने विरोध में आंदोलन छेड़ दिया. लेफ्ट सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन कर रही थी. भाजपा ने इसे अवसर के रूप में देखा और अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की पूरी कोशिश की.