नई दिल्ली : गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी चुनाव प्रचार अब धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है. राज्य की कुल 182 विधान सभा सीटों पर दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को मतदान होना है. गुजरात, ऐसा राज्य जहां पिछले 27 वर्षों से सीधा मुकाबला देश की दो प्रमुख पार्टियों- कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता आया है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी राज्य में चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही है.
गुजरात विधान सभा चुनाव में एक तरफ भाजपा है, जिसके लिए गुजरात सिर्फ एक राज्य नहीं बल्कि प्रयोगशाला है, एक मॉडल है जिसके सहारे पार्टी देशभर में अलग पार्टी होने का दावा करती है, तो वहीं दूसरी तरफ राज्य में लगातार चुनाव हारने वाली कांग्रेस है जिसके लिए गुजरात में शानदार प्रदर्शन करना इस बार अस्तित्व का सवाल बनता नजर आ रहा है. वहीं तीसरी तरफ आम आदमी पार्टी है जो गुजरात में शानदार प्रदर्शन के सहारे राष्ट्रीय पार्टी और कांग्रेस के विकल्प होने के अपने दावे को मजबूत करना चाहती है.
जाहिर है कि गुजरात की जनता के जनादेश का असर अगले वर्ष होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ना तय माना जा रहा है. यही वजह है कि गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सहारे लगातार सातवीं बार सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ चुनाव में उतरी भाजपा ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अपने तमाम मुख्यमंत्रियों को चुनाव प्रचार में उतारने की रणनीति बना ली है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी समेत मोदी सरकार के तमाम मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय और राज्यों के पदाधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के सांसद, विधायक, मंत्री यहां तक कि पूर्व मंत्री भी गुजरात में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में छोटी बड़ी जनसभाएं, रैलियां और जनसंपर्क करते नजर आएंगे. राज्य में भाजपा के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने का जिम्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं ले लिया है तो वहीं गृह मंत्री अमित शाह एक-एक सीट के समीकरण पर नजर बनाए हुए हैं. राज्य में पहले चरण के मतदान के तहत 89 विधान सभा सीटों पर एक दिसंबर को मतदान होना है.