नई दिल्ली :पिछले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकर ने तीन तलाक का कानून बनाकर मुस्लिम महिला मतदाताओं के दिल में जगह बनाने की कोशिश की थी और एकबार फिर 2024 के चुनाव नजदीक आते आते बीजेपी की नजर अल्पसंख्यक वोट बैंक पर है, लेकिन इस बार बीजेपी की नजर पसमांदा या बोहरा मुसलमानों के वोट बैंक पर है.आंकड़े यदि देखे जाएं तो पिछले उत्तर प्रदेश के चुनाव में एक अनुमान के मुताबिक भाजपा के 90 प्रतिशत मुस्लिम प्रत्याशी पसमांदा थे. यूपी में इस रणनीति के सफल रहने से साफ है कि 2024 के आम चुनाव में इस रणनीति को भाजपा शामिल कर सकती है. कुल वोट में मुस्लिम 15 फीसदी है. अगर 10वां हिस्सा भी भाजपा को वोट देता है तो यह कुल वोट का 1.5 प्रतिशत होगा.
बीजेपी ने पसमांदा मुसलमानों के बहाने अल्पसंख्यकों के कल्याणकारी योजनाओं की फेहरिस्त बनाई है और पसमांदा मुसलमानों के साथ हुई बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की गुरुवार को हुई बैठक के बाद बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने ऐलान किया है कि पसमांदा मुसलमानों के सम्मान और उथान के लिए कदम उठाए जाएंगे. इसके लिए बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा पसमंदा स्नेह यात्रा निकालेगा,ये यात्रा पूरे देश में निकाली जाएगी. इस दौरान बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा लोगों से बात करेगा और इस यात्रा की जिम्मेदारी पार्टी के अल्पसंख्या मोर्चा को दी गई है. इस स्नेह यात्रा का नेतृत्व भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के साथ अन्य अल्पसंख्यक नेता करेंगे.
यूपी के निकाय चुनाव में पहली बार बीजेपी ने इतनी बड़ी संख्या में मुसलमानों को खासकर पसमांदा मुसलमानों को टिकट दिया गया जिसमे बीजेपी सफल रही और इसी प्रयोग को बीजेपी 2024 के चुनाव में भी दोहराना चाहती है. पिछले दो दशक से अगर देखा जाए तो बीजेपी ने चुनावों में छह से दस प्रतिशत तक मुस्लिम वोट हासिल किए. मगर उसमें खास बात ये रही की ये ज्यादातर शिया मुस्लिम के वोट थे क्योंकि सुन्नी मुसलमान ज्यादातर कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक माने जाते रहे हैं. परंतु हाल में बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए पसमांदा मुस्लिम जो बैकवर्ड क्लास में आते हैं, उन्हें लुभाने की कोशिश मे है. बीजेपी पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर बड़े कार्यक्रम लॉन्च करने जा रही है.