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Watch Video : अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने के लिए बीजेपी ने बनाई रणनीति, जानिए क्या है तैयारी

एक हिंदूवादी पार्टी होने के बावजूद भी बीजेपी इस बार अपनी रणनीति में यू टर्न लेते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने की कोशिश कर रही है और इसके लिए भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा लगातार सक्रिय है. वैसे तो 2014 के बाद से ही मोदी सरकार ने बोहरा और पसमांदा मुसलमानों को रिझाने के माध्यम से ये कोशिश की थी, लेकिन 2024 के नजदीक आते आते ये कोशिश अभियान का रूप लेती जा रही है. आखिर हिंदुत्व पर राजनीति करने वाली इस पार्टी को अल्पसंख्यको के वोट की चिंता इस बार क्यों सता रही है. क्या है इसके पीछे की रणनीति. जानते हैं ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट के माध्यम से.

Bharatiya Janata Party
भारतीय जनता पार्टी

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Published : Jul 15, 2023, 10:04 PM IST

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नई दिल्ली :पिछले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकर ने तीन तलाक का कानून बनाकर मुस्लिम महिला मतदाताओं के दिल में जगह बनाने की कोशिश की थी और एकबार फिर 2024 के चुनाव नजदीक आते आते बीजेपी की नजर अल्पसंख्यक वोट बैंक पर है, लेकिन इस बार बीजेपी की नजर पसमांदा या बोहरा मुसलमानों के वोट बैंक पर है.आंकड़े यदि देखे जाएं तो पिछले उत्तर प्रदेश के चुनाव में एक अनुमान के मुताबिक भाजपा के 90 प्रतिशत मुस्लिम प्रत्याशी पसमांदा थे. यूपी में इस रणनीति के सफल रहने से साफ है कि 2024 के आम चुनाव में इस रणनीति को भाजपा शामिल कर सकती है. कुल वोट में मुस्लिम 15 फीसदी है. अगर 10वां हिस्सा भी भाजपा को वोट देता है तो यह कुल वोट का 1.5 प्रतिशत होगा.

बीजेपी ने पसमांदा मुसलमानों के बहाने अल्पसंख्यकों के कल्याणकारी योजनाओं की फेहरिस्त बनाई है और पसमांदा मुसलमानों के साथ हुई बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की गुरुवार को हुई बैठक के बाद बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने ऐलान किया है कि पसमांदा मुसलमानों के सम्मान और उथान के लिए कदम उठाए जाएंगे. इसके लिए बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा पसमंदा स्नेह यात्रा निकालेगा,ये यात्रा पूरे देश में निकाली जाएगी. इस दौरान बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा लोगों से बात करेगा और इस यात्रा की जिम्मेदारी पार्टी के अल्पसंख्या मोर्चा को दी गई है. इस स्नेह यात्रा का नेतृत्व भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के साथ अन्य अल्पसंख्यक नेता करेंगे.

यूपी के निकाय चुनाव में पहली बार बीजेपी ने इतनी बड़ी संख्या में मुसलमानों को खासकर पसमांदा मुसलमानों को टिकट दिया गया जिसमे बीजेपी सफल रही और इसी प्रयोग को बीजेपी 2024 के चुनाव में भी दोहराना चाहती है. पिछले दो दशक से अगर देखा जाए तो बीजेपी ने चुनावों में छह से दस प्रतिशत तक मुस्लिम वोट हासिल किए. मगर उसमें खास बात ये रही की ये ज्यादातर शिया मुस्लिम के वोट थे क्योंकि सुन्नी मुसलमान ज्यादातर कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक माने जाते रहे हैं. परंतु हाल में बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए पसमांदा मुस्लिम जो बैकवर्ड क्लास में आते हैं, उन्हें लुभाने की कोशिश मे है. बीजेपी पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर बड़े कार्यक्रम लॉन्च करने जा रही है.

बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चे की कोशिश है कि समान नागरिक संहिता को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर कर मुस्लिम समाज के बीच सच्चाई पहुंचाई जाए. यही नहीं पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा इस दिशा में कई योजनाएं भी बना चुका है.मसलन सेना में मशहूर रहे शहीद ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र पर भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी एक प्रतिनिधिमंडल के साथ जाएंगे और फूल चढ़ाएं और शहीद को सम्मान दिया जाएगा. पिछली सरकार ने ब्रिगेडियर उस्मान को सम्मान नहीं दिया था जिसके तहत बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा उनके सम्मान और किए गए बलिदान को भारतीय मुसलमान तक पहुंचाने की कोशिश में है.

इस संबंध में बात करते हुए अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि इस यात्रा के दौरान पूरे देश में ब्रिगेडियर उस्मान के बलिदान की कहानी लोगों तक अल्पसंख्यक मोर्चा पहुंचाएगा. उन्होंने कहा की भारतीय मुसलमान जाकिर नाइक को अपना नायक नहीं,बल्कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को अपना नायक माने, ये जरूरी है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीरें और उनकी कहानियां भी स्नेह यात्रा से जोड़ी जाएंगी जिसके तहत उनकी तस्वीर लेकर उनके कार्य और बलिदान को भारतीय मुसलमान तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी ताकि विपक्ष द्वारा जो मुसलमानों की एक तस्वीर जो खींच दी गई है उसे बदला जा सके.

बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा समान नागरिक संहिता के बारे में फैले भ्रम को भीं मुसलमानों के पास जाकर दूर करने की भी कोशिश करेगा. सूत्रों की माने तो पार्टी 2024 में भी ऐसी सीटों पर जहां अल्पसंख्या बीजेपी उम्मीदवार कम मार्जिन से हारे थे दोबारा उन सीटों पर अल्पसंख्या उम्मीदवार उतारने की कोशिश में है. इसके अलावा कई राज्य सरकार पसमांदा मुस्लिमों को कोटा भी प्रदान कर रही हैं, इन बातों को भी चुनाव प्रचार में आगे बढ़ाया जाएगा. यदि मुसलमानों के कुल 15 प्रतिशत वोट का एक प्रतिशत वोट भी बीजेपी लुभाने में सफल होती है तो वो परिणाम पर असर डाल सकता है.

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