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क्या महाराष्ट्र के बाद झारखंड का भी नंबर आएगा ?

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Published : Jun 22, 2022, 10:00 PM IST

महाराष्ट्र में अघाड़ी सरकार अस्थिर हो चुकी है. सरकार कब तक टिकी रहेगी, फिलहाल कहना मुश्किल है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं ऐसी ही नौबत झारखंड में न आ जाए. भाजपा ने झारखंड का मामला आरपीएन सिंह को दे रखा है. आरपीएन सिंह कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस में थे और वह झारखंड देख रहे थे. ऐसे में झारखंड की सरकार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. पेश है ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्नी की रिपोर्ट.

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार पर संकट छाया हुआ है. सरकार गिरने की नौबत आ गई है. अब चर्चा है कि कहीं झारखंड में भी यही स्थिति न हो जाए. यदि देखा जाए तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वर्तमान में प्रॉफिट ऑफ ऑफिस के मामले में चौतरफा घिरे नजर आ रहे हैं. चुनाव आयोग ने खदान मामले में उन्हें पहले ही अयोग्यता की नोटिस थमा दी है. हाईकोर्ट ने हाल ही में हेमंत सोरेन के लीज और शेल कंपनी मामले में सीबीआइ जांच की मांग वाली याचिका को वैध ठहराते हुए सुनवाई के लिए स्‍वीकार कर लिया है.

वहीं भ्रष्‍टाचार के संगीन मामलों में गिरफ्तार की गई आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल की ईडी जांच में एजेंसी की दबिश लगातार बढ़ती जा रही है. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में अदालत को बताया है कि भ्रष्‍टाचार के तार झारखंड के सत्ता शीर्ष से जुड़े हैं. ऐसे में यदि देखा जाए तो झारखंड की सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के लिए ये अनुकूल समय है और अंदरखाने सूत्रों की मानें तो जल्द ही झारखंड में भी महाराष्ट्र की तरह सियासी उठापटक का नजारा दिखाई पड़ सकता है.

यदि देखा जाए तो चुनाव आयोग की तरफ से झारखंड के मुख्यमंत्री को 28 जून का गया समन और विपक्ष की अंदरखाने तैयारी बहुत हद तक सत्ता के समीकरण में एक नया भूचाल ला सकती है. यहां सवाल ये भी उठता है कि क्या इसी सुगबुगाहट के अंदेशे से कांग्रेस ने सत्याग्रह के बहाने अपने देश भर के विधायकों को दिल्ली बुला लिया है ? झारखंड के एक कैबिनेट मंत्री से जब ईटीवी भारत ने सवाल किया तो उन्होंने नाम ना लेने की शर्त पर बताया कि आलाकमान ने विधायकों को बुलाया है मगर कब तक उन्हें वहां रुकना है, ये उन्हें नहीं मालूम, मगर कुछ हद तक ये भी तय है कि केंद्र की भाजपा सरकार झारखंड की राजनीति को अस्थिर करने की कोशिश जरूर कर रही है. हालांकि आगे कुछ कहने से उन्होंने आलाकमान की तरफ से मनाही होने का इशारा किया.

निर्वाचन आयोग ने भी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को माइनिंग लीज आवंटन मामले में जवाब देने के लिए एक बार फिर समय दिया है. और उन्हें 28 जून को जवाब देने का निर्देश दिया गया है.पिछले 14 फरवरी 2022 को बीजेपी ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था. इस दौरान आरोप लगाया गया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और पत्थर खदान की लीज हासिल की है.

ऑफिस ऑफ प्रोफिट का मामला बताते हुए बीजेपी हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग लगातार कर रही है, और विश्वस्त सूत्रों की माने तो सरकार में मंत्री पद पर मौजूद कुछ मंत्री और विधायक लगातार बीजेपी के संपर्क में भी हैं और शायद बीजेपी ने भी इसी समय के लिए कुछ दिन पहले कांग्रेस के झारखंड प्रभारी, आरपीएन सिंह को बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी. अब कांग्रेस के इन विधायकों पर सिंह डोरे डाल सकते हैं, क्योंकि वो कांग्रेस के प्रभारी लंबे समय तक रहे हैं, और इसी अंदेशे ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है, क्योंकि एक के बाद एक कांग्रेस की बची खुची राज्य सरकारों पर भी खतरे के बादल मंडरा रहें हैं.

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