नई दिल्ली :चार राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में 2022 में चुनाव होने हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाला चुनाव बीजेपी के लिए नाक की लड़ाई है. क्योंकि बीजेपी को मिशन 2024 के लिए सत्ता में बने रहने का रास्ता उत्तर प्रदेश के चुनावी परिणाम से ही तय होगा.
बीजेपी के तमाम वरिष्ठ रणनीतिकार लगातार उत्तर प्रदेश पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और बीजेपी ने राज्य की सत्ता में वापसी के लिए सुपर 100 के हाथों में चुनावी प्रबंधन को सौंपा है. वहीं उत्तर प्रदेश की तरह बाकी राज्यों के चुनाव के लिए भी बीजेपी ने प्लान हंड्रेड तैयार किया है.
चार राज्यों के लिए क्या है बीजेपी का हंड्रेड प्लान
इस योजना के तहत पार्टी ने इन चार राज्यों और एक केंद्र शासित राज्य के लिए 100 सांसदों और मंत्रियों को इन राज्यों में भेजा है. इन सांसदों और मंत्रियों को संसद के शीतकालीन सत्र से पार्टी द्वारा छूट भी दी गई है और यह वरिष्ठ नेता चुनाव तक वहीं कैंप करेंगे.
ईटीवी भारत की संवाददाता अनामिका रत्ना. हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के कुछ सांसद पंजाब में बीजेपी की जीत के लिए जी तोड़ मेहनत करेंगे, तो वहीं असम और नॉर्थ ईस्ट के सांसदों को मणिपुर विधानसभा चुनाव में लगाया गया है. जबकि महाराष्ट्र के सांसदों को गोवा भेजा गया है. वहीं बिहार बीजेपी को पूर्वांचल के 16 जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है और चुनाव होने तक यह सांसद और मंत्री इन्ही राज्यों में रहेंगे.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने मिशन उत्तर प्रदेश को कैसे सुपर 100 के हवाले किया
पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव ने बताया कि पार्टी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सुपर 100 के हाथ में चुनावी प्रबंधन सौंपा है और चुनाव प्रबंधन के लिए कुल 22 कमेटियां उत्तर प्रदेश में बनाई गई हैं. इनमें मुख्य तौर पर सदस्यता अभियान कमेटी, बूथ प्रबंधन कमेटी, मतदाता सूची कमेटी, कार्यक्रम विभाग की कमेटी समेत कई अन्य कमेटियां शामिल हैं. हर एक कमेटी का मुखिया है जिसके पास काम के समन्वय की जिम्मेदारी है और इस कमेटी के अध्यक्ष के साथ पार्टी ने तीन से चार सदस्यों और कार्यकर्ताओं को भी जोड़ा है.
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इतना ही नहीं ये लोग चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लगातार रिपोर्ट देते रहेंगे और यही कमेटियां प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं के भी चुनावी कार्यक्रम पर योजनाएं बनाएंगी.
काशी में होगा विभिन्न सम्मेलनों का आयोजन
उन्होंने बताया कि चुनाव से पहले हो रहे 'दिव्य काशी, भव्य काशी' कार्यक्रम की टैगलाइन भी इसी कमेटी ने तैयार की है और काशी कॉरिडोर को प्रधानमंत्री 13 दिसंबर को देश को समर्पित कर रहे हैं. वहीं 14 नवंबर को बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का वाराणसी में सम्मेलन भी रखा गया है और 16 दिसंबर को देश के सभी महापौर भी काशी के सम्मेलन में भाग लेंगे, जबकि 17 दिसंबर को देश के सभी जिला पंचायत अध्यक्षों का सम्मेलन आयोजित किया गया है.
यही नहीं 18 दिसंबर देश के सभी धर्म आचार्यों का सम्मेलन तो 19 दिसंबर को विद्वानों का सम्मेलन होगा. जबकि 20 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल की बैठक भी काशी में ही कर सकते हैं. 21 दिसंबर को प्रधानमंत्री का कार्यक्रम होगा. वहीं 22 को इतिहासकारों का सम्मेलन, 23 को मशहूर लेखकों का सम्मेलन, 24 को टूर ऑपरेटर्स का सम्मेलन, 26 दिसंबर को मीडिया सम्मेलन, 28 दिसंबर राजदूतों का सम्मेलन, 29 दिसंबर को विदेशी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रीयों का सम्मेलन, 30 दिसंबर को देश के देवस्थान के पदाधिकारियों का सम्मेलन, 2 जनवरी को देश के वैज्ञानिकों का सम्मेलन, 3 जनवरी को सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स कॉन्क्लेव तो वहीं 4 जनवरी को कलाकारों का सम्मान कार्यक्रम होगा.
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इसके अलावा 5 जनवरी को छात्र-छात्राओं का सम्मेलन, 6 जनवरी को प्रदेश के कारीगरों का सम्मेलन, 8 जनवरी को वास्तुविदों का सम्मेलन, 9 जनवरी को देश के अभियंताओं का सम्मेलन, 10 जनवरी को प्रदेश के खिलाड़ियों का सम्मेलन, 11 जनवरी को प्रदेश की लोक विधाओं से जुड़े कलाकारों का सम्मेलन, 12 जनवरी को प्रदेश के उद्यमी महिलाओं का सम्मेलन, 13 जनवरी को महिला स्व सहायता समूह का सम्मेलन तो 14 जनवरी को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का काशी भ्रमण का कार्यक्रम आयोजित किया गया है.
कुल मिलाकर पार्टी ने काशी को केंद्र बिंदु में रखने के लिए पूरे एक महीने का कार्यक्रम तैयार किया गया है, क्योंकि काफी वैसे भी प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र होने की वजह से वीआईपी चुनाव क्षेत्र माना जा रहा है. वहीं बीजेपी के सुपर 100 के देखरेख में यह तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और पार्टी की तमाम रणनीति भी यह सुपर 100 के पदाधिकारी ही तय करेंगे.