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मुफ्त राशन और शासन के एजेंडे पर भाजपा लड़ सकती है 2024 का चुनाव

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल के कैबिनेट की पहली ही बैठक में राज्य में मुफ्त राशन योजना की मियाद तीन महीने बढ़ा दी है. मुफ्त राशन की योजना को कोरोना महामारी के दौरान शुरू किया गया था. बीजेपी की इस योजना को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर के रूप में देखा जा रहा है? इस योजना को 2024 तक लागू रखा जा सकता है. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट....

Desh Ratan Nigam, senior political analyst
राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम (फाइल फोटो)

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Published : Mar 26, 2022, 9:38 PM IST

Updated : Mar 26, 2022, 10:16 PM IST

नई दिल्ली :उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट मीटिंग में मुफ्त राशन योजना को 3 महीने के लिए आगे बढ़ा दिया है. सूत्रों की मानें तो इस योजना को फिलहाल भारतीय जनता पार्टी की सरकार इसे 2024 तक लागू रख सकती है. इससे यह साफ है कि भाजपा अपने राशन और शासन के एजेंडे को 2024 के लिए अभी से तैयार कर रही है. भारतीय जनता पार्टी के इंटरनल सर्वे में यह बात तो तय हो चुकी है कि कोरोना काल से दिए जा रहे मुफ्त राशन के लाभार्थियों ने चुनाव में भाजपा का साथ बढ़-चढ़कर दिया है. चुनाव के दौरान इस स्कीम ने पार्टी को काफी फायदा पहुंचाया. यही वजह है कि पिछले 6 महीने से मुफ्त राशन की योजना को एक महीने में दो बार बढ़ा दिया गया था. अब लोगों को उत्तर प्रदेश में महीने में दो बार राशन मुफ्त मिलता है. इस स्कीम का असर यह रहा कि दूसरे पार्टियों के वोट बैंक माने जाने वाले लाभार्थियों को भाजपा ने अपने पाले में कर लिया.

पार्टी को यह मालूम है कि किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी घटना और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठा रही समाजवादी पार्टी और बाकी विपक्षी पार्टियों के माहौल के बीच मुफ्त राशन योजना ने बीजेपी को प्रचंड जीत दिलाने में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई है. वैसे तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मार्च 2022 तक अलग-अलग राज्यों में 5 किलो अनाज बांटे जा रहे हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां मुफ्त राशन योजना को 15 करोड़ लाभार्थियों के लिए 2022 के मई माह तक बढ़ा दिया गया है.

सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश सरकार ने राशन योजना को 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही आगे बढ़ाया है. बीजेपी को ऐसा लगता है कि फ्री राशन योजना का लाभ चुनाव परिणाम पर पड़ा है. इसी वजह से लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटी है. पार्टी को ऐसा लगता है कि फ्री राशन की वजह से बीएसपी का वोट बैंक भी बड़ी संख्या में बीजेपी की तरफ आया है. अब पार्टी इस कोशिश में है कि यह वोट बैंक पूरी तरह से बीजेपी का होकर रह जाए.

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सूत्रों की मानें तो गरीब कल्याण अन्न योजना के जरिये बीजेपी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के वोट बैंक पर 2024 तक पूरी तरह से आधिपत्य जमाना चाहती है, इसलिए लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. वैसे तो इस योजना की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा कोरोना काल में की गई थी, लेकिन योगी सरकार ने इसमें अपनी भागीदारी निभाते हुए 10 किलो राशन देना शुरु किया. इसके तहत सरकारी राशन की दुकानों के माध्यम से लाभार्थियों को गेहूं, चावल के साथ-साथ चना दाल, खाद्य तेल और आयोडाइज्ड नमक भी मुफ्त में महीने में दो बार मिल रहा है. यह मुफ्त राशन योजना ने चुनावी मैदान में बीजेपी के लिए ताकत बन गई. केंद्र से लेकर राज्य के तमाम नेता अपने भाषण की शुरुआत ही मुफ्त अनाज योजना के साथ करने लगे.

इस योजना की निगरानी का जिम्मा बी प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर सांसदों, विधायकों और अफसरों को सौंपा था. अनाज वितरण में राज्य सरकार ने भी पूरी ताकत झोंक दी थी. यही वजह रही कि चुनाव के दौरान गाहे-बगाहे लोगों को यह कहते भी देखा गया कि उन्होंने मोदी और योगी का नमक खाया है. यूपी विधानसभा चुनाव में स्कीम के हिट होते ही अंदरखाने यह बातें भी निकल कर आ रही है कि अब इसे 2024 तक भी विस्तार दिया जा सकता है.

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इस संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता व राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम (Desh Ratan Nigam, senior political analyst) का कहना है कि राशन और सुशासन यह दो नारे ही पूरे चुनाव प्रचार के दौरान हावी रहे. कानून व्यवस्था तो योगी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि थी . लेकिन राशन का मुफ्त वितरण ने कोविड काल में आजीविका गंवाने वालों और प्रवासियों का लालन-पालन किया था. योगी 2.0 की पहली कैबिनेट मीटिंग में मुफ्त राशन की योजना को विस्तार कर विरोधियों के मुंह भी बंद कर दिए हैं. अब बीजेपी पर चुनावी फायदे के लिए योजना चलाने का आरोप भी नहीं लगाया जा सकेगा.

राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम का कहना है कि यूपी विधानसभा चुनाव में पूरा विपक्ष एकजुट था. यहां तक कि कांग्रेस ने भी अपने वोट समाजवादी पार्टी को ट्रांसफर किए थे, इस वजह से उसका वोट शेयर 2 फीसद पर सिमट गया. ऐसी कड़ी टक्कर में 273 सीटें लाना भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि है. चुनाव के दौरान बीजेपी से कुछ गलतियां हुई हैं, अब पार्टी को इंटरनल मैनेजमेंट को मजबूत करना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2024 में केंद्र सरकार के लिए चुनाव होगा. तब संभव है कि समाजवादी पार्टी के वोटर भी भाजपा को वोट दे दें. राजनीतिक विश्लेषक निगम का कहना है कि नई सरकार को अब अपनी योजनाओं को दोबारा जमीन पर उतारना होगा और लोगों को आत्मनिर्भर बनाना होगा ताकि वह खुद रोजी-रोटी कमाएं.

Last Updated : Mar 26, 2022, 10:16 PM IST

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