हैदराबाद :उत्तरप्रदेश में दलित वोट किस हद निर्णायक है, यह समझने के लिए यह जानना ही काफी है कि उत्तर प्रदेश में करीब 20.7 फीसदी दलित आबादी है. मतदाताओं को तौर पर इनकी हिस्सेदारी करीब 21 प्रतिशत है. क्षेत्रीय आधार पर देखे तो ये बुंदेलखंड की कुल आबादी में 25 पर्सेंट दलित हैं. दोआब-अवध में दलितों की आबादी 26 पर्सेंट और पूर्वी यूपी में 22 पर्सेंट है. वेस्टर्न यूपी में भी जाटव विरादरी की धमक करीब 12 सीटों पर है. आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 42 ऐसे जिले हैं, जहां दलितों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है.
जाटव बीएसपी और पासी बीजेपी के वोटर! :यूपी में दलितों की प्रमुख जातियां जाटव, वाल्मीकि, धोबी, कोरी और पासी है. दलितों में करीब 66 उपजातियां हैं. इनमें 55 ऐसी उपजातियां हैं, जिनका संख्या बल ज्यादा नहीं हैं. मुसहर, बसोर, सपेरा और रंगरेज का वोट शेयर नगण्य है. उप जातियों में जाटव 56 प्रतिशत, पासी 16 प्रतिशत, धोबी, कोरी और वाल्मीकि 15 प्रतिशत हैं. गोंड, धानुक और खटीक 5 फीसद हैं. 21 फीसदी कुल दलित आबादी में करीब 11 फीसदी जाटव और 10 फीसदी गैर-जाटव वोटर हैं. जाटव बहुजन समाज पार्टी के परंपरागत वोटर रहे हैं. गैर जाटव वोट बीजेपी को मिलते रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में परंपरा टूटी मगर 2019 में जाटव फिर बीएसपी के पास लौट गए. दलितों में जाटव के बाद दूसरे नंबर पर पासी जाति आती है, जो खासकर सेंट्रल यूपी में सियासी तौर पर काफी प्रभावी मानी जाती है. पासी अब बीजेपी के वोटर बन चुके हैं.
यूपी की सत्ता सुरक्षित सीटों पर जीत में टिकी है :यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 2017 के चुनाव में 86 विधानसभा सीटें रिजर्व थीं, जिनमें से 76 पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी . 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 89 सुरक्षित सीटों में से 62 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली थी. 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 58, बसपा ने 15 और भाजपा ने सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल की थी. तब समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे. 2 सीट एसटी (अनुसूचित जनजाति) के लिए आरक्षित थीं. बीजेपी ने 2014 में लोकसभा की 17 रिजर्व सीटों नगीना, बुलंदशहर, आगरा, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, इटावा, जालौन, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच,बांसगांव, लालगंज, मछलीशहर, रॉबर्ट्सगंज पर जीत दर्ज की थी. 2019 के आम चुनाव में इनमें से 6 सीटें बीएसपी के खाते में चली गई.