नई दिल्ली : जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, एनडीए और यूपीए दोनों गठबंधनों की प्राथमिकता अपने-अपने गुट में ज्यादा से ज्यादा दलों को जोड़ना है. पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद भाजपा ने एनडीए को संवारना शुरू कर दिया है. सूत्रों की मानें तो मंगलवार को एनडीए की होने वाली बैठक में 31 राजनीतिक दल शामिल हो सकते हैं.
एनडीए की बैठक में शामिल होंगे ये नेता - जिन नेताओं ने बैठक में शामिल होने की पुष्टि कर दी है, उनमें एकनाथ शिंदे, अजित पवार, रामदास अठावले, अनुप्रिया पटेल, ओम प्रकाश राजभर, संजय निषाद, नेफ्यू रियो, कोनार्ड संगमा, जीतन राम मांझी, चिराग पासवान शामिल हैं. बिहार से उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी भी एनडीए में शामिल होगी. आंध्र प्रदेश से अभिनेता पवन कल्याण के भी शामिल होने की खबरें हैं. कुछ अन्य दलों की ओर से भी पुष्टि हो चुकी है, उनमें एआईएडीएमके, मिजो नेशनल पार्टी, असम गण परिषद, आजसू, तमिल मनिला कांग्रेस, जेजेपी और एसकेएफ जैसी पार्टियां शामिल हैं. अकाली दल से अभी बातचीत चल रही है.
विपक्षी दलों का कैसे काउंटर करेगी भाजपा - भाजपा को यह पता है कि 2024 में बेहतर परफॉर्मेंस करना है, तो उसे हर हाल में उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करनी होगी. लेकिन बदलती हुई राजनीतिक परिस्थिति ने भाजपा के राजनीतिक गणित को उलझा दिया. यही वजह है कि पार्टी इन राज्यों में छोटे-छोटे दलों पर अपनी नजरें गड़ाए है. जहां तक संभव है, पार्टी उनके जरिए दो-चार प्रतिशत मत को भी अपनी ओर मोड़ने का प्रयास कर रही है, ताकि समय आने पर इसका राजनीतिक दोहन किया जा सके. आइए देखिए, इन राज्यों में भाजपा किस कदर आगे बढ़ रही है.
क्या है यूपी की रणनीति - उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने सुहेलदेव समाज पार्टी (सुभासपा) को अपने पाले में कर लिया. ओम प्रकाश राजभर इसके नेता हैं. वे अब एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं. राजभर का दावा है कि वह 10-15 लोकसभा सीटों को प्रभावित कर सकते हैं. यूपी में राजभर समुदाय की आबादी चार फीसदी है. 2022 का विधानसभा चुनाव उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ लड़ा था. लेकिन राजनीतिक मतभेद की वजह से वहां से वह एनडीए में लौट आए. राजभर पहले भी एनडीए में रह चुके हैं. वह यूपी कैबिनेट में मंत्री भी थे.
इसी तरह से यूपी में ओबीसी समुदाय से आने वाले दारा सिंह चौहान भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं. चौहान भी सपा में चले गए थे. लेकिन अब भाजपा में आ चुके हैं. अपना दल पहले से भाजपा के साथ है. पिछले लोकसभा चुनाव में अपना दल को 1.2 फीसदी मत मिले थे. उनके दो सांसद हैं. कुर्मी मतदाताओं पर उनका प्रभाव माना जाता है. निषाद पार्टी भी इस समय एनडीए के साथ है. एक समय निषाद पार्टी सपा के साथ हुआ करती थी. कहा जा रहा है कि पश्चिम यूपी में भाजपा की नजर जयंत चौधरी पर है. जयंत चौधरी जाट नेता हैं. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के बेटे हैं. इस समय जयंत चौधरी सपा के सहयोगी हैं, लेकिन वह विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं.
क्या है बिहार-झारखंड की रणनीति - इसी तरह से बिहार में एक-एक सीट पर समीकरण बिठाए जा रहे हैं. इसी रणनीति के तहत भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित नेता राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को एनडीए में एंट्री दिलाई है. चिराग के चाचा पशुपति पारस अभी एनडीए में हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एलजेपी का यह गुट भी चाहता है कि सुलह हो जाए, लेकिन बात हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर अटकी हुई है. पशुपति पारस हाजीपुर से सांसद हैं. वह अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. दूसरी ओर हकीकत ये है कि चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं, लेकिन इस बार वह हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनसे जुड़े सूत्रों ने बताया कि चिराग अपने पिता की सीट से भावनात्मक लगाव रखते हैं. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि यदि ऐसा था, तो 2019 में वह जमुई क्यों चले गए, इस पर उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया. भाजपा के लिए अच्छी बात ये है कि चिराग पासवान की पार्टी को आठ फीसदी तक वोट मिला था. और पार्टी कभी नहीं चाहेगी, कि यह वोट उनसे छिटक जाए.