बेंगलुरु : कर्नाटक में कांग्रेस सरकार और विपक्षी भाजपा आरोप-प्रत्यारोप में लिप्त है. दोनों दल एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं कि लोगों ने बढ़े हुए बिजली के बिलों पर नाराजगी जताई है. पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को शिगांव शहर में कहा कि उनके कार्यकाल में बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गईं. हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने दावा किया कि राज्य में भाजपा सरकार के दौरान बिजली की दरें बढ़ाई गई थीं.
बोम्मई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं की गई थी. बोम्मई ने दावा किया कि केईआरसी एक वैधानिक बॉडी है. हालांकि, इसने मार्च में बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन हम सहमत नहीं थे. हमने बिजली दरों में वृद्धि नहीं की थी. कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद बिजली की दरों को बढ़ाया गया है.
उन्होंने कहा कि अप्रैल में बिजली की दरें बढ़ाई गई हैं. यह बहुत बड़ा बोझ है. आने वाले दिनों में पावर सेक्टर (बिजली क्षेत्र) पर संकट आने वाला है. ट्रांसपोर्ट और पावर सेक्टर को फंड दिया जाना चाहिए, इसके एक साल बाद सब्सिडी दी गई तो काम नहीं चलेगा.
बोम्मई ने आगे कहा कि अगर बिजली और ट्रांसपोर्ट क्षेत्रों को फंड नहीं दिया गया और कुशलता से प्रबंधित किया गया, तो बसें चलना बंद हो जाएंगी और बिजली नहीं रहेगी. वहीं सीएम सिद्दारमैया ने रविवार को दावा किया था कि पिछली भाजपा सरकार की सिफारिश के अनुसार बिजली दरों में वृद्धि की गई है. सिद्दारमैया ने दावा किया, हालांकि, भाजपा झूठ फैला रही है कि हमने बिजली की दरें बढ़ा दी हैं.
कर्नाटक विद्युत नियामक आयोग (केईआरसी) ने 12 मई को बिजली दरों में संशोधन किया. केईआरसी के आदेश के अनुसार, राज्य में सभी घरेलू कनेक्शनों के लिए बिजली शुल्क को संशोधित कर औसतन 70 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया था और आदेश को अप्रैल 2023 की खपत से पूर्वव्यापी प्रभाव दिया गया था. बेंगलुरु इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (बेस्कॉम) के प्रबंध निदेशक महंतेश बिलागी ने कहा कि टैरिफ में संशोधन के कारण जून के बिलों में औसतन 70 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि हमें इस आदेश को लागू करने के लिए मजबूर किया गया है.