गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में एक कुतिया ने 8 पिल्लों को जन्म दिया (birth of a unique puppy in Gopalganj) है. हैरानी की बात ये है कि उसमें से एक बच्चे की शक्ल बकरे की तरह थी. पैर के खुर और कान हू-ब-हू बकरी जैसे ही दिख रहे हैं. यही नहीं गांव वालों का दावा है कि उसकी आवाज भी बकरी की तरह है. यानी ये पिल्ला कूं-कूं नहीं बल्कि ''मेंSS..मेंSS..'' करता है. जब से लोगों ने इस अनोखे कुत्ते के जन्म के बारे में सुना है गांव में इसे देखने वालों की भीड़ उमड़ने लगी है. हैरान कर देने वाला ये वाकया सिधवलिया प्रखंड के टेग्रही गांव का है.
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कुतिया ने दिया बकरे को जन्म: गांव के लोग यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर एक कुतिया कैसे बकरे को जन्म दे सकती है. ग्रामीण भी डरे हुए हैं कि कहीं उसे बकरा समझकर कोई खा न ले. इसलिए गांव वाले चाहते हैं कि 'बकरी की शक्ल वाला पिल्ला' की जांच वन विभाग की टीम करे. ताकि पता लगाया जा सके कि ये बकरी है या कुत्ते का इसमें अंश है? गांव वाले इस 'अनोखे पिल्ले' को वन विभाग को सुपुर्द करने को तैयार हैं.
साजिश है या करिश्मा: ये कुदरत का करिश्मा है या कोई साजिश इसे गांव वाले पर्दा उठाना चाहते हैं. पशुओं के एक्सपर्ट बताते हैं कि एक बकरी का बच्चा 6 महीने में जन्म लेता है. जबकि कुतिया 3 महीने पर बच्चे को जनती है. ऐसे में ये 'बकरी की शक्ल वाला बच्चा' तीन महीने में ही कुतिया के गर्भ से पैदा हो गया. गांव वालों की हैरानी का ये दूसरा बड़ा कारण है.
ऐसे मिला 'बकरी की शक्ल वाला पिल्ला': आम तौर पर जब भी गांव में पिल्ले जन्म लेते हैं तो कुछ लोग उन्हें पालने की नीयत से तेज तर्रार पिल्ले को अपने घर लाना चाहते हैं. उसी दौरान कुछ लोगों ने 8 बच्चों के साथ इस 'बकरी के बच्चे वाली शक्ल' के बच्चे को देखा तो लोग उसे बकरी का बच्चा समझकर अपने साथ ले आए. लेकिन कुछ ही देर में कुतिया उसे ढूंढती हुई उस जगह पहुंची और उसे मुंह में दबाकर अपने साथ ले गई.
''हम बकरी का बच्चा समझकर कुतिया के पास से इसे लेकर आए. आसपास बहुत लोगों से पूछा कि किसकी बकरी का बच्चा है तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. हम इसे उठाकर अपने घर ले आए. लेकिन थोड़ी हीदेर में कुतिया वहीं पहुंच गई. ढाका को हटाकर मुंह में दबाकर उसे अपने साथ बंसवारी की ओर ले गई''-शंभू दास, स्थानीय ग्रामीण
गांव वाले कर रहे विन विभाग की टीम का इंतजार: गांव के लोग फिर उस कुतिया के पास पहुंचे और 'बकरी के शक्ल वाले पिल्ले' को अपने साथ लेकर शंभू दास के घर लेकर आ गए. गांव वाले चाहते हैं कि इस बच्चे की जांच हो. जब तक वन विभाग की टीम नहीं पहुंच जाती तब तक उसकी देखरेख गांव वाले ही कर रहे हैं. उसके लिए दूध और खाने पीने का भी इंतजाम गांव वालों ने किया है. गोपालगंज के डॉग लवर (Gopalganj dog lover) भी इसको लेकर हैरान हैं.
जन्म के बाद से स्वस्थ्य है 'बकरी की शक्ल वाला पिल्ला': आम तौर पर ऐसे जब भी अजब-गजब मामले सामने आते हैं तो बच्चे ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहते लेकिन ये बच्चा काफी स्वस्थ्य है और आस-पास टहल घूम भी रहा है. बकरी के शक्ल वाले बच्चे की हकीकत से पर्दा कब उठेगा गांव वालों के साथ अब सभी लोग जानना चाहते हैं. देखने वाली बात ये है कि कब इसकी जांच शुरू होती है.
''ऐसा जेनेटिकली संभव नहीं है. एक जानवर के स्पर्म दूसरे जानवर के अंदर जाते ही उसके पीएच (pH) में सर्वाइव नहीं कर पाएगा और स्पर्म डेड हो जाएगा. इसलिए ये वैज्ञानिक आधार पर संभव नहीं है. क्रॉस ब्रीडिंग में घोड़ी और गदहे के क्रॉस से खच्चर पैदा होते हैं. जबकि खच्चर में बच्चे पैदा की क्षमता नहीं होती. ये दोनों एक ही परिवार के सदस्य हैं. इस मामले में ऐसा दावा करना गलत है'' - प्रमोद शर्मा, पशु चिकित्सा अधिकारी, रायबरेली