लखनऊ : योगी आदित्यनाथ का जीवन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. संन्यासी से लेकर मुख्यमंत्री बनने के सफर में उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए. योगी आदित्यनाथ का नाम पहले अजय सिंह बिष्ट था. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में अजय सिंह बिष्ट का जन्म 5 जून 1972 को हुआ था. अजय सिंह बिष्ट अब योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट वन विभाग में रेंजर थे. शुरुआती पढ़ाई के बाद अजय सिंह बिष्ट ने 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसी बीच वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए. वर्ष 1992 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह श्रीराम मंदिर आंदोलन के दौर में उनका रुझान आंदोलन की तरह बढ़ता गया और इसी बीच वह गुरु गोरखनाथ पर रिसर्च करने के लिए 1993 में गोरखपुर आ गए.
गोरखपुर में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के प्रमुख अगुवा रहे महंत अवेद्यनाथ का आशीर्वाद और स्नेह मिला और वर्ष 1994 में अजय सिंह बिष्ट संन्यासी बन कर योगी आदित्यनाथ बन गए. योगी को महंत अवेद्यनाथ ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और दीक्षा लेने के बाद वह पूरी तरह से योगी आदित्यनाथ के रूप में गोरक्ष पीठ में कामकाज देखते रहे. इस बीच वह लगातार श्रीराम मंदिर आंदोलन में महंत अवैद्यनाथ के नेतृत्व में सक्रिय रहे. भगवा धारण किए योगी आदित्यनाथ अपने कट्टर बयानों के लिए हमेशा जाने जाते रहे और मुस्लिमों के खिलाफ खूब बोलते रहे. उनकी कट्टर छवि ही उन्हें लगातार गोरखपुर से चुनाव जिताने में मददगार साबित होती रही. वर्ष 2002 में योगी आदित्यनाथ ने अपने समर्थकों को लेकर हिंदू युवा वाहिनी नाम से संगठन का गठन भी किया था जो तथाकथित हिंदू विरोधी गतिविधियों को रोकने का काम करती थी. हिंदू सम्मेलनों में योगी आदित्यनाथ के भाषण सांप्रदायिक भाषण कहकर उन पर हमले भी होते रहे.
योगी आदित्यनाथ अपने कट्टर हिंदू छवि के लिए हमेशा जाने जाते हैं. उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी बजरंग दल जैसे संगठनों के माध्यम से अपनी कट्टर हिंदुत्व वाली छवि को हमेशा बुलंद करने का काम किया. उन्होंने हिंदुत्व की भावनाओं को हमेशा बढ़ाने का काम किया और आज भी वह सर्वाधिक हिंदुत्व को ही महत्व देते हैं. योगी आदित्यनाथ वर्ष 1998 में 26 वर्ष की उम्र में पहली बार गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने. इसके बाद वह लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद निर्वाचित होते रहे. योगी आदित्यनाथ वर्ष 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार पांच बार जीत दर्ज करने का काम किया.
12 सितंबर 2014 को महंत अवेद्यनाथ महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद योगी आदित्यनाथ गोरक्ष पीठ के महंत घोषित हुए. गोरक्ष पीठाधीश्वर गोरखनाथ मठ की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत हुई तो भाजपा विधायक दल की बैठक में आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया और 19 मार्च 2017 मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.