दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

जन्मदिन विशेष: घरवाले चाहते थे टीचर बने, एवरेस्ट विजेता बन गईं बछेंद्री पाल - बछेंद्री पाल को जन्मदिन की बधाई

आज भारत की पहली माउंट एवरेस्ट विजेता महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल का जन्मदिन है. बछेंद्री ने 38 साल पहले अपने जन्मदिन से एक दिन पहले 23 मई 1984 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही होने का गौरव हासिल किया था.

Birthday of Bachendri Pal
बछेंद्री पाल जन्मदिन

By

Published : May 24, 2022, 9:09 AM IST

देहरादून:आज देश की सबसे बड़ी महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल का जन्मदिन है. उनका जन्म 24 मई 1954 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के नकुरी गांव में हुआ था. 38 साल पहले 23 मई 1984 को उत्तराखंड की इस बेटी ने दुनिया में इतिहास रचा था. बछेंद्री दुनिया की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ को फतह करने वाली भारत की पहली और दुनिया की पांचवीं महिला बनी थीं. बछेंद्री पाल ने तब यह बड़ी उपलब्धि उस समय हासिल की थी जब 1 दिन बाद उनका जन्मदिवस 24 मई को था. बछेंद्री की इस उपलब्धि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी खूब प्रशंसा की थी.

किसान पिता की बेटी चढ़ी पहाड़: तब वर्तमान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था. बछेंद्री के पिता एक किसान थे. पिता गेहूं और चावल का व्यापार करते थे. उनकी घर की आर्थिक स्थिति सामान्य पहाड़ी परिवारों जैसी ही थी. यानी जो खेती में पैदा हो उसी से गुजारा चलाओ. बछेंद्री बचपन से ही पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी आगे थीं. वह जब केवल 12 साल की थीं जब उन्होंने पहली बार अपने स्कूल के दोस्तों के साथ पर्वतारोहण की कोशिश की थी. बछेंद्री पाल ने अपने स्कूल की पिकनिक के दौरान 13,123 फीट की ऊंचाई पर चढ़ने का प्रयास किया. उन्होंने गंगोत्री पर्वत पर 21,900 फीट और रुद्रगरिया पर्वत पर 19,091 फीट की चढ़ाई में भी भाग लिया.

ये भी पढ़िए: पर्वातारोही बछेंद्री पाल ने पर्यावरण को लेकर जताई चिंता, कहा- हिमालय से छेड़छाड़ का असर समुद्री इलाकों में दिख रहा

गांव की पहली ग्रेजुएट थी बछेंद्री पाल:आपको एक रोचक तथ्य बता दें कि बछेंद्री पाल अपने गांव में ग्रेजुएशन करने वाली पहली महिला थीं. उनके परिवार वाले उनके पर्वतारोहण के शौक के खिलाफ थे. घरवाले चाहते थे कि वह टीचर बनें. बीए करने के बाद बछेंद्री ने एमए (संस्कृत) किया. फिर बीएड की डिग्री हासिल कर ली. इसके बावजूद बछेंद्री को कहीं अच्छी नौकरी नहीं मिली. बछेंद्री ने नौकरी की तलाश करने की बजाय इससे हटकर कुछ बड़ा करने की ठानी.

घरवाले चाहते थे टीचर बने बछेंद्री:बछेंद्री के परिजन नहीं चाहते थे कि वह पर्वतारोही बनें. वो लोग बछेंद्री पाल को टीचर बनाना चाहते थे. लेकिन उनकी जिद के आगे घरवालों को झुकना पड़ा. उन्होंने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग में दाखिला ले लिया. 1984 में भारत ने एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक अभियान दल बनाया. इस दल का नाम ‘एवरेस्ट-84’ था. दल में बछेंद्री पाल के साथ 11 पुरुष और 5 महिलाएं थीं.

एवरेस्ट-84 की बनीं विजेता:मई स्टार्टिंग में दल ने अपने अभियान की शुरुआत की. खराब मौसम, खड़ी चढ़ाई और तूफानों को झेलते हुए 23 मई 1984 के दिन बछेंद्री ने एवरेस्ट फतह करते हुए नया इतिहास रच दिया था. पूरे देश और दुनिया में बछेंद्री पाल की खूब तारीफ हुई. समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में उनकी इस सफलता से पन्ने रंग गए.

ये भी पढ़िए: तीन घटनाओं ने बदल दी बछेंद्री पाल की जिंदगी, संघर्षों से लड़ते हुए फतह की थी एवरेस्ट की चोटी

एवरेस्ट फतह पर मिली पद्मश्री:बछेंद्री की इस सफलता का भारत सरकार ने भी संज्ञान लिया. 1984 में पद्मश्री और राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार और 1986 में अर्जुन पुरस्कार समेत कई सम्मानों से उन्हें सम्मानित किया गया. साल 1990 में उन्हें माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही के रूप में उनकी उपलब्धि के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था. वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं. वह चुने हुए पर्वतारोहियों को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं. एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल को ईटीवी भारत की ओर से जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनाएं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details