कराची:पाकिस्तान के कई इलाकों में असामान्य रूप से भारी बारिश होने और उसकी वजह से कई इलाकों में भीषण बाढ़ आने से चालू वित्त वर्ष में चार अरब डॉलर से अधिक की आर्थिक क्षति होने का अनुमान है. भारी बारिश और बाढ़ का प्रकोप अभी जारी रहने से अर्थव्यवस्था को पहुंचे वास्तविक नुकसान का पूरी तरह अंदाजा लगा पाना मुमकिन नहीं है. लेकिन पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23 फीसदी का अंशदान रखने वाले कृषि क्षेत्र के उत्पादन पर इसका गहरा असर पड़ना लाजिमी माना जा रहा है.
ताश के पत्तों की तरह गिर रही हैं बिल्डिंगें अब तक 937 की मौत, तीन करोड़ लोगों के सिर से छत उजड़ी : खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बारिश ने सभी रिकॉर्ड और आंकड़ों को भी बहा दिया है. स्वात, दीर और चित्राल से तबाही के ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं. पाकिस्तान सरकार ने आधिकारिक रूप से अब तक 343 बच्चों समेत कुछ 937 लोगों की मौत हो चुकी है. देश में तीन करोड़ लोगों के सिर से छत उजड़ चुकी है जिसके बाद राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी गई है. सिंध प्रांत में 14 जून से गुरुवार तक बारिश और बाढ़ में 306 लोग जान गंवा चुके हैं. वहीं बलूचिस्तान में 234, खैबर पख्तूनख्वा में 185 और पंजाब में 164 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं.
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पाकिस्तानी समाचारपत्र 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारी बारिश और बाढ़ की वजह से हुए हादसों में करीब 1,000 लोगों की मौत हो चुकी है और करोड़ों रुपये का साजो-सामान नष्ट हो चुका है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि सरकार को कई हिस्सों में आपात-स्थिति का ऐलान भी करना पड़ा है. इस समाचारपत्र ने जेएस ग्लोबल रिसर्च की एक शोध रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हमारे शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, सरकार की तरफ से कुछ खास कदम नहीं उठाए गए तो बाढ़ और बारिश से चालू खाते का घाटा 4.4 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है जो जीडीपी का एक प्रतिशत होगा.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को मजबूरी में 2.6 अरब डॉलर मूल्य का कपास और 90 करोड़ डॉलर मूल्य का गेहूं आयात करना पड़ सकता है. इसके साथ ही उसे एक अरब डॉलर मूल्य का वस्त्र निर्यात भी गंवाना पड़ सकता है. इस तरह कुल नुकसान करीब 4.5 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है. पाकिस्तान में बारिश और बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान कपास की फसल को पहुंचा है. पिछले वित्त वर्ष में कपास की 80 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था.
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लेकिन इस साल सिंध में भारी बारिश से इसकी फसल को खासा नुकसान हुआ है. फसलों के अलावा बारिश और बाढ़ में करीब पांच लाख मवेशियों की भी मौत हो गई है. इससे ग्रामीण आबादी पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और दूध की आपूर्ति भी बाधित होने का अंदेशा है.