नई दिल्ली: 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों में से एक को शनिवार को गुजरात सरकार के एक कार्यक्रम में भाजपा सांसद और विधायक के साथ मंच पर देखा गया. गुजरात चुनाव से पहले पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर इन बलात्कार के दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होने से सिर्फ दो दिन पहले की बात है.
यह कार्यक्रम पूर्व केंद्रीय मंत्री व दाहोद सांसद जसवंतसिंह भाभोर द्वारा लिमखेड़ा समूह जलापूर्ति योजना के तहत शनिवार को आयोजित पाइप लाइन के शिलान्यास समारोह का था. लिमखेड़ा विधायक उनके भाई शैलेश भाभोर भी मंच पर नजर आए. बिलकिस बानो बलात्कार के 11 दोषियों में से एक शैलेश चिमनलाल भट्ट को उनके साथ तस्वीरें खिंचवाते और पूजा में भाग लेते देखा गया.
इस समारोह की एक तस्वीर भी सामने आई है, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर कहा कि 'मैं इन राक्षसों को वापस जेल में देखना चाहती हूं और चाबी फेंक देना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि यह शैतानी सरकार जो न्याय का उपहास बनाती है, उसे सत्ता से बाहर किया जाए. मैं चाहती हूं कि भारत अपने नैतिक कम्पास को पुनः प्राप्त करे. बता दें कि इस मामले में 2008 में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
उन पर बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या का भी आरोप लगाया गया था, जिनमें उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी. यह 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के जलने के बाद गुजरात में हुए कई अत्याचारों में से एक था, जिसमें कई कारसेवक (धार्मिक स्वयंसेवक) मारे गए थे. अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के बाद अपने राज्य वापस जाने के रास्ते में ये दक्षिणपंथी कार्यकर्ता ट्रेन में सवार हुए थे.
पिछले साल बलात्कारियों की रिहाई के बाद, शीर्ष अदालत में टीएमसी की नेता महुआ मोइत्रा और सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली जैसे विपक्षी नेताओं ने उनकी रिहाई को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की थीं. 22 मार्च को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और बिलकिस बानो को आश्वासन दिया कि एक नई बेंच का गठन किया जाएगा.
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बता दें कि गुजरात सरकार ने दोषियों को उनकी याचिका के आधार पर और एक पैनल का गठन करने के बाद रिहा कर दिया था, जिसमें कथित तौर पर सत्तारूढ़ भाजपा के साथ संबंध रखने वाले पुरुष थे. इन पैनल सदस्यों ने तर्क दिया था कि दोषी 'संस्कारी' (संस्कृत) ब्राह्मण थे, वे पहले ही 14 साल जेल में काट चुके हैं और जेल में अपने पूरे समय में अच्छे व्यवहार का प्रदर्शन किया है.