बिलासपुर: बिलासपुर की बेटियों में अग्निवीर बनकर देश सेवा का जज्बा दिल में घर कर गया है. यही वजह है कि ये बेटियां अब राजा रघुराज सिंह स्टेडियम में दिन रात कड़ी ट्रेनिंग कर रही हैं ताकि उनका सिलेक्शन सेना में अग्निवीर के तौर पर हो सके. बदल रहा है देश बदल रही है सोच, इस भावना को ये बेटियां लोगों तक पहुंचाना चाहती हैं और बताना चाहती हैं कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं हैं. क्योंकि आज की लड़कियां घर भी चला सकती हैं और देश भी चला सकती हैं.
अग्निवीर भर्ती के लिए युवतियों में बढ़ा रुझान: बिलासपुर में बीते एक साल में अग्निवीर भर्ती के लिए युवतियों में जज्बा बढ़ा है. यही वजह है कि राजा रघुराज सिंह स्टेडियम में ये युवतियां प्रशिक्षित कोच से ट्रेनिंग ले रही हैं. लड़कियां यहां आकर अग्निवीर की तैयारी के लिए शारीरिक कुशलता और क्षमता को बढ़ाने की कड़ी ट्रेनिंग कर रहीं हैं. इन्हें अभ्यास कराने के लिए ट्रेंड कोच हैं. यह रोजाना इन लड़कियों को ऐसी ट्रेनिंग दे रहे हैं. जिससे, पहले ही अटेम्प्ट में लड़कियां अग्निवीर योजना के माध्यम से सेना में भर्ती हो सकें. लड़कियों के जोश को देखकर लगता है कि, देश की सेवा के लिए सीमा पर दुश्मनों से मुकाबले के लिए ये तैयार हैं.
बेटियों को अग्निवीर बनने का जज्बा कहां से आया: ईटीवी भारत ने अग्निवीर भर्ती की तैयारी के लिए दिन रात मेहनत कर रही युवतियों से बात की. इनमें से एक कैंडिडेट, संतोषी वासुदेव ने बताया कि "मैं समाज में फैली रुढ़िवादी सोच को बदलना चाहती हूं. इसलिए अग्निवीर बनना चाहती हूं. क्योंकि मैं पेंड्रा इलाके से आती हूं. यहां के लोगों की सोच है कि लड़कियां वर्दी वाली नौकरी नहीं कर सकती.मैं सेना में भर्ती होकर दिखा दूंगी की लड़कियां किसी से कम नहीं".
वर्दीधारी नौकरी ने किया प्रेरित: पैरा मिलिट्री फोर्स और अग्निवीर की तैयारी कर रही बिलासपुर की युवती राजेश्वरी महेंद्र ने बताया कि "मैं अपने घर की सैन्य परंपरा को बरकरार रखना चाहती हूं. इसलिए मैं सेना और दूसरे फोर्स में जाना चाहती हूं. वर्दीधारी नौकरी मुझे बचपन से प्रेरित करती आई है." बिलासपुर की सुजाता पटेल की सोच देश सेवा से प्रेरित है. वह कहती हैं कि "सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का अच्छा अवसर मिलता है. मेरा मानना है कि महिलाएं आज के युग में घर संभालने के साथ देश संभालने का भी काम कर सकती हैं".