रायपुर :छत्तीसगढ़बीजापुर जिले में तीन अप्रैल को हुई नक्सली मुठभेड़ में बकावंड ब्लॉक के बनिया गांव के बेटे श्रवण कश्यप शहीद हो गए थे. श्रवण उन 22 जवानों में से एक थे, जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान देश की खातिर दिया. STF के जवान श्रवण कश्यप अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनकी मां, पत्नी और 5 साल का बेटा गहरे सदमे में है. बहन, भाई और भाभी का भी बुरा हाल है. वे अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे. उनकी सैलरी से ही घर चलता था. श्रवण के चले जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.
श्रवण कश्यप साल 2007 में पुलिस सेवा में शामिल हुए थे. दुर्ग एसटीएफ बेस कैंप में ट्रेनिंग के बाद उन्होंने बस्तर संभाग के अलग-अलग इलाकों में ड्यूटी की. कुछ महीने पहले ही उनकी पोस्टिंग सुकमा के अंदरूनी गांव के पुलिस कैंप में हुई थी. श्रवण ने 2013 में उन्होंने बकावंड की ही रहने वाली दूतिका के साथ जन्म-जन्म साथ रहने की कसम खाई थी. एक चार साल का बेटा है और वो दूसरी बार पिता बनने वाले थे.
दूतिका दो महीने की गर्भवती हैं. ये बात जब शहीद को पता चली तो, उन्होंने होली पर घर लौटने का वादा किया था, लेकिन गाड़ी नहीं मिली और वो नहीं आ पाए. एनकाउंटर से ठीक एक दिन पहले फिर उन्होंने दूतिका से कहा था मैं आऊंगा लेकिन तिरंगे में लिपटी उनकी देह आई.
बेसहारा हुआ परिवार
आखिरी बार एंटी नक्सल ऑपरेशन पर जाने से पहले शुक्रवार रात को श्रवण ने परिवार को फोन किया था. इस दौरान उन्होंने अपने बेटे से भी बात की. श्रवण ने बताया था कि वे ड्यूटी पर जा रहे हैं और उन्हें पूरा एक दिन का समय वापस आने में लग सकता है. जिसके बाद न्यूज में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की खबरें आईं. जवान की पत्नी दूतिका ने बताया कि शनिवार को सुबह से ही श्रवण से बात करने के लिए उन्हें कई बार फोन लगाने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.