पटना : बिहार समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) के शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों को विभाग आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहा है. 2020 में समाज कल्याण विभाग ने शेल्टर होम (Shelter Home) में रहने वाली 20 लड़कियों को बेंगलुरु में उच्च शिक्षा के लिए भेजा था. विभाग का यह प्रयास सफल हुआ. शेल्टर होम की 10 लड़कियों को होटल मैनेजमेंट कोर्स करने के बाद अच्छी नौकरी मिली है.
समाज कल्याण विभाग द्वारा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत के कई ट्रस्ट और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है. इसी के तहत समाज कल्याण विभाग शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अन्य प्रदेशों में भेजने का काम पिछले साल से कर रहा है.
शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियां बन रहीं आत्मनिर्भर. 10 लड़कियों को मिला प्लेसमेंट
पिछले साल 20 लड़कियों को बेंगलुरु में होटल मैनेजमेंट कोर्स के लिए भेजा गया था. जिसमें से 14 लड़कियों ने कोर्स कंप्लीट कर लिया है. जिसमें से 10 लड़कियों ने प्लेसमेंट भी पा ली है. 4 लड़कियों की उम्र कम होने के कारण वह नौकरी नहीं कर पाई हैं. हालांकि 6 लड़कियों का अभी भी कोर्स जारी है. वह नवंबर तक अपना कोर्स कंप्लीट कर पाएंगी.
''चार लड़कियों का चयन रैडिसन समूह के होटलों द्वारा किया गया है, चार यूरिंडियन अकादमी में प्रोफेश्नल के साथ काम करेंगी. दो अन्य को भी एक और अच्छे होटल में प्लेसमेंट मिला है.''- राजकुमार, निदेशक, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार
जिन चार लड़कियों ने कोर्स कंप्लीट कर लिया है और उनकी उम्र कम होने के कारण उनका प्लेसमेंट नहीं हो पाया है. उन लड़कियों को विभाग के द्वारा हर महीने दो 2000 हजार की मदद दी जाएगी. जिससे कि उनके आजीविका में मदद मिलेगी. विभाग इसके लिए तैयारी कर रही है. जिन 10 लड़कियों ने होटल मैनेजमेंट कोर्स कंप्लीट किया है, उनको बेंगलुरु, मुंबई, महाराष्ट्र में प्लेसमेंट हुआ है.
लड़कियों को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर
बता दें कि विभाग की ओर से पिछले साल से यह प्रयास किया जा रहा है कि शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाया जाए. विभाग ने इन लड़कियों को बेंगलुरु उच्च शिक्षा के लिए भेजा था.
वहीं, विभाग की महिला अधिकारियों को भी इन लड़कियों की देख रेख पढ़ाई से लेकर के प्लेसमेंट तक की सुविधा के लिए बीच-बीच में भेजा जाता है. जो लड़कियों के रहने, खाने-पीने की व्यवस्था को अच्छे ढंग से देख सकें. साल के अंत तक समाज कल्याण विभाग यह प्रयास कर रहा है कि फिर से 20 से अधिक लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए भेजा जाए. वैसी लड़कियों को चिन्हित किया जाएगा.
2018 में हुआ था यौन शोषण का खुलासा
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर के बालिका गृह में 34 छात्राओं के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था. मेडिकल टेस्ट में तकरीबन 34 बच्चियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी. यह मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंसेज की ओर से 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट के बाद सौंपने आया था. इस रिपोर्ट में किसी आश्रय गृह में पहली बार नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ था.
पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरू की थी. बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे, इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.
25 अगस्त 2020 को सीबीआई ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया. सीबीआई ने कहा था कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को मिले सरकारी अनुदान का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है. ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है.