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Bihar Caste Survey Report : 17% मुसलमान में भी है अगड़ा और पिछड़ा, सवाल- हिस्सेदारी के हिसाब से आरक्षण का 'जिन्न' आएगा बाहर?

बिहार की जातीय जनगणना में सिर्फ हिन्दुओं को ही जाति में विभाजित नहीं किया गया है बल्कि मुस्लिमों को भी अगड़ा, पिछड़ा और अतिपिछड़ा श्रेणी में रखकर गणना की गई है. बिहार की मुस्लिम आबादी में भी पिछड़ों की संख्या ज्यादा है. जिससे अब मांग उठ रही है कि जिसकी जितनी आबादी है उस हिसाब से उसे भी हिस्सा मिले. कुछ नेता तो बिहार में मुस्लिम सीएम होने की भी बात कर रहे हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 3, 2023, 9:54 PM IST

बिहार में जातीय गणना में मुस्लिम आबादी में अगड़ा-पिछड़ा

पटना : बिहार सरकार की ओर से जातीय गणना की रिपोर्ट जारी कर दी गई है. पूरे देश में बिहार पहला राज्य है जहां इस तरह की रिपोर्ट जारी की गई है. उसमें भी मुस्लिम के पिछड़ा, अति पिछड़ा और अपर कास्ट से संबंधित पहली बार रिपोर्ट तैयार की गई है. आंकड़ों के अनुसार बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है. इसमें 81.99 प्रतिशत हिंदू और 17.70 फीसदी मुसलमान हैं. जबकि, अन्य धर्म के लोगों की तादाद महज 0.31 पर्सेंट है.

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जातीय गणना में मुसलमानों की संख्या : दरअसल, बिहार सरकार की ओर से जातीय गणना में मुसलमान को तीन वर्गों में बांटा गया है. इनमें अगड़ी जाति, पिछड़ी जाति और अत्यंत पिछड़े शामिल हैं. इसमें पिछड़ी जाति के मुस्लिम सबसे ज्यादा हैं. 2 करोड़ 31 लाख 49 मुस्लिम आबादी में 4% अगड़ी जाति है और शेष पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जाति से आती है.



बिहार में 4 फीसदी मुस्लिम अगड़ी जाति : अगड़ी जाति के मुसलमानों को तीनों वर्गों- सैयद, शेख और पठान में बंटा गया है. अगड़ी जाति में सबसे बड़ी संख्या शेख मुसलमानों की है. इनकी तादाद 3.8217 प्रतिशत है. इसके बाद पठान 0.7548 फीसदी और फिर सैय्यद का नंबर आता है, जिनकी आबादी कुल 0.2279 प्रतिशत है. ग्राफिक्स में देखें आंकड़े-

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मुसलमान में पिछड़ी जाति सबसे ज्यादा : बैकवर्ड में मदरिया, नालबंद, सुरजापुरी, अंसारी और मलिक मुस्लिम शामिल हैं. बैकवर्ड मुसलमानों में सबसे अधिक आबादी मोमिन अंसारी की है. वहीं दूसरी बड़ी आबादी सुरजापुरी मुस्लिम की है. पिछड़ी जाति में आने वाले चिक मुस्लिमों की जनसंख्या राज्य में 0.0386 फीसदी, कसाई 0.1024 प्रतिशत, डफली 0.056 प्रतिशत, धुनिया 1.4291 फीसदी, नट 0.0471 पर्सेंट, पमरिया 0.0496 प्रतिशत, भटियारा 0.0209 प्रतिशत, भाट 0.0681 प्रतिशत और मेहतर 0.0535 प्रतिशत हैं.


ये हैं अति पिछड़े मुसलमान: इसके अलावा मिरियासीन की आबादी 0.0118 फीसदी, मदारी 0.0089 फीसदी, मिर्शिकार 0.051 प्रतिशत, फकीर 0.5073 प्रतिशत हैं, जबकि चूड़ीहार की जनसंख्या 0.159 पर्सेंट, राईन 1.3988 प्रतिशत, ठकुराई 0.1128 प्रतिशत, शेरशाहबादी 0.9965 फीसदी, बखो 0.0282 प्रतिशत और दर्जी 0.2522 प्रतिशत हैं. सिकलीगर मुस्लिमों की तादाद बिहार में 0.0145 फीसदी, रंगरेज 0.0332 फीसदी, मुकेरी 0.0432 फीसदी, गादेरी 0.0072 पर्सेंट, कुल्हैया 0.9591, जाट 0.0344, धोबी 0.3135 प्रतिशत, सेखदा 0.1904 प्रतिशत, गद्दी 0.0441, लालबेगी की आबादी 0.0021 और हलालखोर की जनसंख्या 0.0058 फीसदी है.

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मुस्लिम आबादी पर जेडीयू का बयान : पहली बार मुस्लिम आबादी की रिपोर्ट इस प्रकार से तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में पिछड़े और अत्यंत पिछड़े और अगड़ी मुस्लिम जातियों के आंकड़े इकट्ठे किए गए हैं. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि ''मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी के विकास के लिए काम करते रहे हैं. कभी वोट की चिंता नहीं की है. इसलिए यह रिपोर्ट उन्होंने तैयार करवाया है, अभी इसी रिपोर्ट के आधार पर उनके लिए योजना तैयार की जाएगी.''


'मुस्लिम आबादी से बन सकता है सीएम': वहीं, माले विधायक महबूब आलम का कहना है कि ''हिस्सेदारी जितनी है उतनी तो मिलनी चाहिए और मुस्लिम से मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं.'' कांग्रेस के विधायक दल के नेता शकील अहमद खान का भी कहना है ''इससे योजना बनाने में मदद मिलेगी.''आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का भी कहना है कि ''हम लोगों का जो संकल्प था, उस दिशा में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं.'' लेकिन बीजेपी की तरफ से रिपोर्ट के आंकड़ों पर सवाल खड़ा किया जा रहा है. इसमें जो त्रुटि है उसको कैसे दूर किया जाएगा इस पर जवाब मांगा जा रहा है.


मुस्लिम आबादी में कई ऐसी जातियां हैं जिनका पहले से वर्चस्व रहा है, लेकिन अब पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों की रिपोर्ट तैयार होने के बाद उनकी तरफ से भी हिस्सेदारी की मांग उठेगी.


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