नई दिल्ली/पटना:आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बयान से साफ हो चुका है कि बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) में अब आरजेडी और कांग्रेस में गठबंधन(RJD Congress Alliance split)नहीं होगा. हालांकि विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एक भी सीट नहीं देने के मूड में रहने के बावजूद आरजेडी आलाकमान बिहार एमएलसी चुनाव (Bihar MLC Election) में कांग्रेस को पांच सीटें देने को तैयार हो गई थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह (Congress MP Akhilesh Singh) के कहने पर आरजेडी पांच सीटें देने को तैयार हो गई थी लेकिन प्रदेश कांग्रेस की 10 सीटों की जिद ने खेल खराब कर दिया.
दरअसल, 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव और 2021 में हुए बिहार विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को देखते हुए आरजेडी आलाकमान बिहार विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन के मूड में नहीं था. एक भी सीट देने को तैयार नहीं था लेकिन कांग्रेस हर हाल में आरजेडी से गठबंधन कर विधान परिषद चुनाव लड़ना चाहती थी, क्योंकि कांग्रेस को पता था कि अकेले लड़कर सफलता नहीं मिलेगी. बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास की ओर से विधान परिषद चुनाव में आरजेडी से गठबंधन और सीट बंटवारे पर बातचीत की जिम्मेदारी बिहार से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह को दी गई थी.
अखिलेश सिंह को आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) का बेहद करीबी माना जाता है. आरजेडी से ही वे पहली बार विधायक बनकर बिहार सरकार में मंत्री बने थे. उसके बाद आरजेडी से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते और सीधे केंद्र सरकार में मंत्री बन गए थे. लालू ने हमेशा उनकी मदद की. 2009 में लोकसभा चुनाव में हारने के बाद वह आरजेडी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. कांग्रेस में आने के बाद भी आरजेडी और कांग्रेस के बीच बेहतर तालमेल के लिए वह काम करते रहे हैं. इसी कारण विधान परिषद चुनाव में आरजेडी से सीट बंटवारे पर बातचीत की जिम्मेदारी अखिलेश को दी गयी थी.