पटनाः बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पटना हाईकोर्ट ने फैसला दे दिया है. इसके बाद सरकार जातीय जनगणना कराने की तैयारी में है. इसी बीच खबर आ रही है कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है. यह कैविएट अर्जी है, जिसके माध्यम से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि बिना बिहार सरकार का पक्ष सुने कोई फैसला नहीं किया जाए.
यह भी पढ़ेंःBihar Caste Census: 'भाजपा जातिगत गणना का पक्षधर, महागठबंधन की मंशा ठीक नहीं'... विजय सिन्हा
जातीय जनगणना शुरू करने की अनुमतिःबता दें कि 1 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. बिहार सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए फिर से जातीय जनगणना शुरू करने की अनुमति दी है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केवी चंद्रन ने यह फैसला सुनाया.
सुप्रीप कोर्ट जाएंगे याचिकाकर्ताः कोर्ट के इस फैसले के बाद जातीय जनगणना के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता के वकील सुप्रीम कोर्ट जाने की घोषणा की है. उसने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि जनगणना करना बिहार सरकार के अधिकारी क्षेत्र में नहीं आता है. कोर्ट के फैसले की कॉपी लेकर वे सुप्रीप कोर्ट जाएंगे.
बिना पक्ष जानें न हो फैसलाः याचिकाकर्ता के वकील का सुप्रीम कोर्ट जाने की बात पर बिहार सरकार ने सुप्रीप कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की है. इस अर्जी में सरकार ने कहा कि पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला दे दिया है. अतः कोर्ट से अपील है कि बिहार सरकार का पक्ष जाने बिना कोई फैसला नहीं लिया जाए.
पहले भी सुप्रीम कोर्ट गई है सरकारः बता दें कि जब पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी तो बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी को खारिज कर दिया था. कहा था कि यह मामला हाईकोर्ट में सुरक्षित रख लिया गया है, इसलिए बिहार सरकार पटना हाईकोर्ट में ही जाए.
जातीय जनगणना होगीःबता दें कि 7 जनवरी 2023 से बिहार में जातीय जनगणना शुरू हुई थी. दूसरा फेज 15 अप्रैल से शुरू हुआ था, जिसे 15 मई तक पूरा करना था, लेकिन इसी बीच पटना हाईकोर्ट ने दायर याचिका को देखते हुए गणना पर रोक लगा दी थी. एक अगस्त 2023 को कोर्ट ने फैसला दिया कि बिहार में जातीय जनगणना कराई जा सकती है.
कैविएट अर्जी क्या है?जब किसी को जानकारी होती है कि उसके खिलाफ कोई व्यक्ति कोर्ट में मामला दर्ज करने जा रहा है तो वह एहतियात उपाय के लिए कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल करता है. इसका मतलब है कि उसके पक्ष बिना जाने कोर्ट कोई फैसला न करें. इसी के तहत सरकार ने कैविएट पिटिशन दाखिल किया है.