वित्त मंत्री विजय चौधरी का बयान पटना:जातीय गणना को लेकर बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है और इस पर लगातार बयानबाजी हो रही है. इस पर वित्त और संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि हम लोग जातीय गणना हो, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट गए हैं. उच्चतम न्यायालय से हम लोगों को पूरी उम्मीद है कि गणना की अनुमति मिलेगी. लेकिन यदि जरूरत पड़े तो बिहार सरकार जातीय गणना करने के लिए कानून भी बना सकती है.
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जनहित के लिए हो रहा था कामः विजय चौधरी ने कहा कि यदि आप आर्थिक आधार पर कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर रहे हैं. केंद्र सरकार भी कर रही है. यदि जाति आधारित गणना हो रही है, तो उसमें आर्थिक आधार की गणना भी कराई जा रही है. यह समझ से परे है कि यह जनहित के लिए जो काम किया जा रहा था. उसे क्यों रोका गया है. पटना हाईकोर्ट की ओर से जातीय गणना को लेकर अंतरिम आदेश दिया गया है. इसे तत्काल रोकने का आदेश दिया गया है और उसके कारण जातीय गणना का कार्य रुक गया है.
"हम लोग जातीय गणना हो, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट गए हैं. उच्चतम न्यायालय से हम लोगों को पूरी उम्मीद है कि गणना की अनुमति मिलेगी. लेकिन यदि जरूरत पड़े तो बिहार सरकार जातीय गणना करने के लिए कानून भी बना सकती है"-विजय चौधरी, वित्त मंत्री, बिहार सरकार
जातीय जनगणना पर कब क्या हुआ एक नजर में मनोनुकूल फैसला नहीं आने पर सरकार बना सकती है कानूनः पटना हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 3 जुलाई को है और इस बीच बिहार सरकार की ओर से पटना हाई कोर्ट में जल्दी सुनवाई को लेकर याचिका दायर की गई थी. लेकिन पटना हाईकोर्ट ने 9 मई को उस याचिका को खारिज कर दिया. अब इसके खिलाफ बिहार सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी का कहना है कि हम लोगों को उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय जातीय गणना कराने के पक्ष में फैसला देगी. ऐसा नहीं होने पर सरकार कानून बनाने का भी फैसला ले सकती है.
सही ढंग से पक्ष नहीं रखने का बीजेपी का आरोपः मंत्री विजय चौधरी की तरफ से यह बड़ा बयान है, क्योंकि बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है कि बिहार सरकार पटना हाई कोर्ट में सही ढंग से अपना पक्ष नहीं रख सकी और उसी के कारण जातीय गणना पर रोक लगा है. बीजेपी की तरफ से आरोप तो यह भी लग रहा है कि नीतीश कुमार चाहते ही नहीं है जातीय गणना हो. ऐसे जदयू नेताओं की तरफ से भी निशाना साधा जा रहा है, लेकिन विजय चौधरी के बयान से साफ है कि यदि कोर्ट से जातीय गणना कराने के पक्ष में फैसला नहीं आया तो कानून भी बनाया जा सकता है.