गया: बिहार का गया ऐसे तो 'मोक्षस्थली' ओर 'ज्ञानस्थली' के रूप में देश और विदेश में चर्चित है, लेकिन यह शहर तिलकुट के लिए भी कम प्रसिद्ध नहीं है. गया का तिलकुट देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है. यह तिलकुट आम तौर पर तिल और गुड से बनाया जाता है लेकिन अब गया सहित बिहार के लोग गया में महुआ फूल से बने तिलकुट का भी स्वाद चख रहे हैं. गया जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित बाराचट्टी प्रखंड के सोमिया गांव में कुछ महिलाएं महुआ से तिलकुट तैयार कर रही हैं. नक्सल प्रभावित जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत जिला स्तर और पायलट प्रोजेक्ट के तहत गया के इन इलाकों में महुआ से तिलकुट बनाया जा रहा है.
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस इलाके में पांच-छह साल पहले तक महुआ से देसी शराब बनाया जाता रहा था. यहां के जंगलों में महुआ की बहुतायत होने के कारण महुआ के फूलों से शराब बनाने का धंधा यहां के महिलाओं के लिए आसान था और इससे लोग अच्छी कमाई भी कर रहे थे. इसी बीच, बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद स्थिति बदल गई. इन महिलाओं के सामने रोजी रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई.
बताया जा रहा है कि इस इलाके में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद कुछ ही महीनों में ही शराब के धंधे में लिप्त होने के आरोप में 1000 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो गए. जिला प्रशासन और वन विभाग ने ग्रामीणों को अपराधीकरण से बचाने, जंगल की आग को रोकने और वनवासियों को वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को महुआ के फूलों का संग्रह, प्रसंस्करण और विपणन में कुशल बनाने की योजना बनाई. नक्सल प्रभावित जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना के अंतर्गत जिला स्तर पर जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और वन प्रमंडल पदाधिकारी के त्रिपक्षीय समिति द्वारा महुआ तिलकुट के निर्माण की स्वीकृति मिली है. पायलट प्रोजेक्ट बाराचट्टी के सौमियां गांव में शुरू किया गया.