पटना: नेपाल में भारी बारिश की वजह से उत्तर बिहार की नदियां उफान पर हैं. बिहार में गंडक, कोसी, कमला, बागमती नदी में हैवी वाटर डिस्चार्ज होने से निचले इलाके में बाढ़ के हालात बन गए हैं. सुपौल में कोसी बराज से 4.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इतनी भारी मात्रा में 33 साल बाद पानी बराज से छोड़ा गया है. सुपौल के डीएम कौशल कुमार ने निचले इलाकों के लोगों को बाढ़ से अलर्ट रहने को कहा है. माइकिंग कर लोगों को सेफ जगह पर चले जाने का भी निर्देश प्रशासन द्वारा दिया जा रहा है.
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33 साल का टूटा रिकॉर्ड: सुपौल में कोसी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. कोसी बराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं. इसके चलते निचले इलाकों को खाली कराया जा रहा है. अभी पानी जिन जगहों पर नहीं पहुंचा है प्रशासन वहां पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की कवायद कर रही है. कोसी की प्रचंड धारा सबकुछ बहा ले जाने के लिए आतुर हो गई है. साल 1989 के बाद कोसी में इतनी बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया है.
गोपालगंज में गंडक उफान पर: वाल्मीकि नगर डैम से रविवार को 2 लाख 94 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसके चलते दियारा इलाके में बाढ़ का खतरा बढ़ गया. नेपाल में हो रही लगातार बारिश के कारण गंडक के जलस्तर में 30 सेंटीमीटर की बढ़त हुई है. निचले इलाके के लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि जाए तो कहां जाएं, वाल्मीकि नगर स्थित गंडक बराज के सभी 36 फाटक खोल दिए गए. बांधों और तटबंधों की लगातार निगरानी की जा रही है. जिला प्रशासन लगातार निचले इलाके के लिए माइकिंग करवा रहा है. लोगों को बाढ़ से अलर्ट रहने के लिए कहा जा रहा है.
मुजफ्फरपुर में बागमती हुई हाहाकारी: किनारों को छोड़कर बागमती नदी का पानी गावों की ओर रुख कर चुका है. 24 घंटा पहले औराई, कटरा और गायघाट प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव में बागमती का पानी घुस गया है. कई ग्रामीणों के घर में घुटने भर पानी दाखिल हो चुका है. प्रभावित गांव को खाली कराकर लोगों को सुरक्षित ठिकाने की ओर व्यवस्था की जा रही है.
मोतिहारी में गंडक का कहर : नेपाल में हुई जोरदार बारिश का असर मोतिहारी में देखने को मिल रहा है. प्रशासन और रेस्क्यू टीम माइकिंग कर लोगों को सुरक्षित ठिकानों की ओर चले जाने के लिए कह रही है. कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित गांव संग्रामपुर प्रखंड के पुछरिया और भवानीपुर मलाही टोला के लोग हैं. इन तक प्रशासन की मदद भी पहुंचने में दिक्कत आ रही है.
बगहा में डरा रही गंडक : आनंदनगर और पारसनगर के पास नदी किनारे बसे लोग डरे सहमे हुए हैं. पानी गांव तक टच करने लगा है. नदी के किनारे स्थित ग्रामीणों में डर व्याप्त है. गंडक की प्रचंड धारा की आवाज से लोगों को नींद नहीं आ रही है. गांव की महिलाएं बताती हैं कि हम रातभर सोते नहीं है, न जाने कब हमारा मकान कटकर गंडक में समा जाए. कटाव रोधी कार्य हुए हैं लेकिन वो भी प्रचंड वेग के चलते टिक नहीं पा रही है.
जल संसाधन मंत्री ने किया अलर्ट: बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने सोमवार को सुबह ट्वीट कर लिखा कि ''नेपाल में कोसी नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के कारण सुबह वीरपुर स्थित कोसी बराज पर अधिकतम 4,62,345 क्यूसेक जलस्राव दर्ज किया गया है. इससे कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि की संभावना है.''उन्होंने आगे लिखा कि ''बाढ़ से सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारी एवं अभियंता अलर्ट हैं और सभी तटबंधों की दिन-रात निगरानी की जा रही है.''
वीरपुर से भारत में प्रवेश करती है कोसी : जानकारी हो कि कोसी नदी नेपाल से सुपौल जिले के वीरपुर में भारत में प्रवेश करती है. प्रवेश बिन्दु के पास कोसी बराज निर्मित है. कोसी नदी सुपौल, मधुबनी, सहरसा, दरभंगा, खगड़िया, मधेपुरा एवं कटिहार जिलों से प्रवाहित होते हुए कटिहार जिला के कुरसेला में गंगा नदी के बायें किनारे पर मिल जाती है. विभाग के मुताबिक, कोसी नदी पर गेज स्थल बलतारा एवं कुरसेला मे पानी खतरे के निशान से उपर प्रवाहित हो रहा है.
बिहार में नदियों का जलस्तर : कमला बलान नदी जयनगर एवं झंझारपुर रेलपुल पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि गंगा नदी का जलस्तर कहलगांव में खतरे के निशान से ऊपर है. हालांकि यहां जलस्तर स्थिर है, लेकिन बक्सर, दीघा, गांधीघाट, हाथीदह, मुंगेर एवं भागलपुर के जलस्तर में कमी की दिख रही है .