मुजफ्फरपुर:आज हम उस बिहार की बेटी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसपर मैट्रिक पास करते ही शादी का दबाव बनाया गया था, लेकिन उन्होंने शादी से इंकार कर दिया था. परिवार और रिश्तेदार के ताने भी सुनने पड़े. 4 साल तक परिवार से बातचीत बंद हो गई. लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.
मुजफ्फपुर की रेणु की हौसलों की कहानी: बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली सोशल वर्कर रेणु पासवान ने अपने कठिन मेहनत और बुलंद इरादों की बदौलत एक अलग पहचान बनाई है. उन्होंने मैट्रिक के बाद इंटर, ग्रेजुएशन और मास्टर डिग्री हासिल कर महाराष्ट्र के पुणे में एक प्रतिष्ठित कंपनी में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर की नौकरी की. कुछ साल नौकरी करने के बाद उसे भी रेणु ने छोड़ दिया. अब वे महिलाओं की आवाज बन चुकी हैं.
"बाल विवाह से बचने के लिए गांव गांव संवाद भी करती हूं. शाम को महिलाओं को पढ़ाती हूं. उन्हें महिलाओं के अधिकार बारे में जानकारी देती हूं. रोजगार करने का भी हुनर सिखाती हूं."- रेणु पासवान, सोशल वर्कर
बाल विवाह के खिलाफ उठाई आवाज: रेणु बताती हैं कि उनका जन्म शहर के मालिघाट में हुआ था. उनके पिता नागेंद्र पासवान बैंक कर्मचारी थे. वे शुरू से ही जिद्दी थी. शहर के निजी स्कूल में पढ़ाई की. मैट्रिक पास करते ही शादी तय कर दी गई लेकिन, उन्होंने इसका विरोध किया. शादी से साफ साफ इंकार कर दिया. उन्होंने बताया कि उनके दोनों भाई दिव्यांग हैं, फिर भी अपने लक्ष्य से कभी नहीं डिगी. समुदाय की सोच के खिलाफ जाने पर नाते-रिश्तेदारों के ताने भी सुने, लेकिन पढ़ाई जारी रखी.
इंटर पास करते ही चली गई बंगलौर: रेणु ने मैट्रिक के बाद इंटर मुजफ्फरपुर से किया. इंटर की पढ़ाई पूरी होने के बाद वे बेंगलुरु चली गई. वहां से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट की. 2008 में पुणे आई और एमबीए किया.
पुणे में लगी जॉब:वे बताती है की पुणे में मास्टर कंप्लीट करने के बाद जॉब लगी. जॉब भी लगी तो देश प्रतिष्ठित कम्पनी में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर की. करीब 70 हजार तक महीना मिलता था. वे कभी कभी हैदराबाद भी जाती थी. इस दौरान एक अनाथालय चलाने वाली महिला से मुलाकात हुई. वे बिहार भी आती थीं. यहां देखती थी कि कई ऐसी महिलाएं हैं जो घरों से निकलना तो दूर चौका बर्तन के अलावा कुछ नहीं कर पाती हैं. इसपर उन्होंने महिला सशक्तिकरण को लेकर काम करने की ठान ली. बाल विवाह के खिलाफ भी जागरूकता अभियान चलाने लगीं.