पटना:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं. पिछले दो दशक से सूबे की सियासत का सबसे चमकता सितारा रहे नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर(Nitish Kumar Political Journey) बेहद दिलचस्प है. साल 2000 में जब पहली बार उन्होंने प्रदेश की बागडोर संभाली थी, तब उन्हें महज 7 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा था. लेकिन 2005 के बाद से वे लगातार (बीच के 9 महीने को छोड़कर) राज्य मैं सत्ता की कमान संभाले हुए हैं. उन्होंने जेपी आंदोलन और मंडल की राजनीति से निकलकर न केवल प्रदेश स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है और विकास और कानून-व्यवस्था के बूते वे 'सुशासन बाबू' भी कहे जाते हैं.
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च सन् 1951 को नालंदा के कल्याण बिगहा गांव में (Nitish Kumar Was Born In Kalyan Bigha Village of Nalanda) हुआ था. उन्होंने सियासी गलियारे में कुशल रणनीतिकार और गंभीर व्यक्तित्व के साथ कदम आगे बढ़ाते हुए अपने फैसलों से जहां एक तरफ लोगों को चौंकाया, वहीं प्रदेश की जनता पर भी अपनी अलग छाप छोड़ी. शायद यही कारण है कि वे सातवीं बार बिहार की सत्ता पर काबिज हुए. मंडल की सियासत से एक प्रभावशाली नेता बनकर उभरे नीतीश (Nitish Kumar Emerged From Mandal Politics) पिछले 2 दशक से बिहार की राजनीति पर एकछत्र राज कर रहे हैं. पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले नीतीश ने राजनीति के गुण जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से सीखे थे.
पटना यूनिवर्सिटी में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में हुए छात्र आंदोलन में नीतीश कुमार का नाम पहली बार उभरा. समाजवादी धारा के नीतीश ने सन् 1977 में एंटी कांग्रेस आंदोलन के दौरान पहली बार जनता पार्टी की टिकट से हरनौत से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए. लेकिन सन् 1985 में उन्होंने हरनौत से ही जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने. इसके बाद वे साल सन् 1987 में बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बने और सन् 1989 में उनको जनता दल की बिहार इकाई का महासचिव बना दिया गया.
सन् 1989 नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इसी साल वे 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए. नीतीश के लिए लोकसभा का पहला कार्यकाल था. इसके बाद साल सन् 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री भी रहे. इसके बाद उनका राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया. सन् 1991 में लोकसभा का चुनाव हुए और नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंचे. इसी वर्ष नीतीश कुमार जनता दल के महासचिव बनने के साथ संसद में जनता दल के उपनेता भी बने. इसके करीब दो साल बाद सन् 1993 में नीतीश को कृषि समिति का चेयरमैन बनाया गया. वहीं साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए. सन् 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे. साल 1999 में हुए चुनाव के बाद नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए और इस बार उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला.