नई दिल्ली : बिहार में जाति गणना संबंधी याचिका की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में छह अक्टूबर को होगी. याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत के सामने कहा कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण डेटा जारी किया है. दरअसल, बिहार जाति जनगणना के डेटा जारी करने को पटना उच्च न्यायालय ने वैध बताते हुए बिहार सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. जिसके बाद सरकार ने इस पर सर्वे का कार्य शुरू कर दिया. बाद में पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की और डेटा जारी करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया.
हालांकि, शीर्ष अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था और तब से ये मामला अदालत में लंबित था. आज (तीन अक्टूबर) शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने जब अदालत को बताया कि बिहार सरकार ने जनगणना का डेटा जारी कर दिया है, तब अदालत ने कहा कि इस पर विस्तृत सुनवाई के बाद ही रोक के आदेश पर विचार किया जाएगा. इस याचिका की सुनवाई छह अक्टूबर को करने का तय किया गया.
बता दें कि बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति-आधारित सर्वे जारी किया, जिसके अनुसार बिहार की आबादी 13 करोड़ से अधिक है. इनमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) 36.01 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियां 1.68 प्रतिशत हैं. वहीं, ऊंची जातियों की 15.52 प्रतिशत जनसंख्या है. पिछड़े वर्गों में यादवों की आबादी 14.26 प्रतिशत, कुशवाह और कुर्मी क्रमशः 4.27 और 2.87 प्रतिशत हैं.