नई दिल्ली: देश के पांच प्रमुख शहरों के लिए 5400 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए सरकार ने निविदा निकाली है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा मंगाई गई अब तक की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक बस निविदा के परिणामस्वरूप केंद्र सरकार के फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक के तहत इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड बसों की अब तक की सबसे कम कीमत की खोज हुई है. उर्जा मंत्रालय के एक सार्वजनिक उपक्रम, कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) ने मंगलवार को घोषणा की कि उसकी भव्य चुनौती योजना के तहत खोजी गई इलेक्ट्रिक बसों की कीमत FAME-II योजना के तहत अब तक की सबसे कम कीमत है.
डीजल बसों की तुलना में परिचालन लागत: सीईएसएल ने पांच शहरों, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और सूरत के लिए 5,450 इलेक्ट्रिक बसों का निविदा जारी की है, जो दुनिया में कहीं भी इलेक्ट्रिक बसों के लिए अब तक की सबसे बड़ी निविदा है. सीईएसएल ने कहा, खोज की गई कीमतें अब तक की सबसे कम है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डीजल बसों की परिचालन लागत के लगभग बराबर है. जहां 12 मीटर की बस का परिचालन लागत 43.49 रुपये प्रति किलोमीटर है, वहीं 9 मीटर की बस की लागत 39.21 रुपये प्रति किलोमीटर है. इसमें बसों को चार्ज करने के लिए आने वाली बिजली की लागत भी शामिल है. सीईएसएल के एमडी और सीईओ महुआ आचार्य ने कहा कि आज हमने जो दरें देखी हैं, वे पूरे देश में इलेक्ट्रिक बसों को बेहद प्रतिस्पर्धी बनाती हैं. ये दरें निविदा के नियमों और शर्तों और शहरों द्वारा मांग की गई बसों की संख्या पर आधारित हैं. ग्रैंड चैलेंज निश्चित रूप से निजी ऑपरेटरों और राज्य सरकारों के बीच तालमेल बनाते हुए देश भर में ग्रीन मोबिलिटी चैलेंज को प्रोत्साहित करेगा. यह कीमत सार्वजनिक परिवहन के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करेगी जो छोटे शहरों को भी इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी. इस निविदा में खोजी गई इलेक्ट्रिक बसों की कीमत एक वाहन के बजाय एक सेवा के रूप में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का प्रतिनिधित्व करती है. यह एक अपेक्षाकृत नया और उभरता हुआ व्यवसाय मॉडल जो राज्य परिवहन उपक्रमों के लिए इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने के लिए उसे सक्षम बनाता है.