नई दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर मंगलवार को एससी से बड़ी राहत मिली है. अभी हाल में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में 58 फीसदी के आरक्षण को लेकर अंतरिम राहत दी थी. इस अंतरिम राहत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विवेक कुमार सिंह ने याचिका दायर की थी. इसे समाप्त करने की मांग इस याचिका के जरिए की गई थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता विवेक कुमार सिंह को कड़ी फटकार लगाई है.
गर्मी छुट्टी के बाद सुनवाई होनी थी, फिर क्यों लगाई याचिका: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर सख्त नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि जब समर वेकेशन के बाद एसएलपी यानि कि विशेष अनुमति याचिका के तहत सुनवाई होनी थी. तो फिर, अंतरिम राहत को रोकने के लिए याचिका क्यों लगाई गई. इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.
याचिकाकर्ता का क्या था तर्क: इस याचिका के जरिए याचिकाकर्ता विवेक कुमार सिंह ने राज्य सरकार को आरक्षण पर मिले 58 फीसदी के अंतरिम राहत को खत्म करने की मांग की थी. उन्होंने याचिका में कहा था कि" एक मई को बघेल सरकार की तरफ से राज्य में भर्ती प्रक्रिया और कॉलेज यूनिवर्सिटी में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर आदेश जारी किया गया है. उसमें किसी तरह की क्लीयरिटी नहीं है. यह क्लीयर नहीं बताया गया है कि अंतरिम राहत सिर्फ पुरानी भर्तियों के लिए है या नई भर्तियों के लिए है."
ये भी पढ़ें:आरक्षण पर छत्तीसगढ़ सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर क्या रहा है पेच: छत्तीसगढ़ में साल 2012 का 58 फीसदी वाला आरक्षण लागू था. जिसे 19 सितंबर 2022 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बता दिया. 19 सितंबर को फैसले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में 58 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था. कोर्ट ने आबादी के हिसाब से आरक्षण देने को भी गलत कहा था. उसके बाद बघेल सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया और राज्य में कुल 76 फीसदी के आरक्षण को विधानसभा से पास कर दिया. उसके बाद यह विधेयक राज्यपाल के पास गया. तब से यह विधेयक राज्यपाल के पास है.