दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड : प्रदेश की ये हैं बड़ी आपदाएं, जिसने जनमानस को हिलाकर रख दिया

जोशीमठ में ग्लेशियर के टूटने से हुई तबाही उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा कोई नई बात नहीं है. पहले भी यहां पर भूकंप, बाढ़ जैसी कई चुनौतियों का यहां के लोगों ने मुकाबला किया है. जानिए कब-कब दैवीय आपदा से सामना हुआ.

बड़ी आपदाएं
बड़ी आपदाएं

By

Published : Feb 8, 2021, 1:35 PM IST

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड कई बार आपदा का दंश झेल चुका है. बीते दिन चमोली जिले के जोशीमठ में आई भीषण जल प्रलय ने सब को हिला कर रख दिया है. जिसने भी इस जल प्रलय का मंजर देखा उनके सामने 2013 की आपदा की तस्वीर उभरकर सामने आ गई. आपदा की जो तस्वीरे सामने आई हैं, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह प्राकृतिक आपदा विनाश की पटकथा लिखती है.

गौरतलब हो कि उत्तराखंड इससे पहले भी कुदरत के कहर को देख चुकी है. वर्ष 1991 में उत्तरकाशी भूकंप से भारी तबाही मची थी. तब प्रदेश अविभाजित उत्तर प्रदेश में था. उत्तरकाशी जनपद में 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था. तबाही के ये घाव आज भी क्षेत्र में साफ देखे जा सकते हैं. चमोली जिले के जोशीमठ में आई जल प्रलय को लेकर राहत बचाव कार्य जारी हैं. आज तड़के साढ़े चार बजे रैणी और तपोवन में रेस्क्यू कार्य फिर शुरू कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि तपोवन टनल में अभी भी 50 लोग फंसे हुए हैं. वहीं छोटी टनल से 12 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है. जबकि बड़ी टनल को खोलने काम जारी है. प्रदेश में विगत वर्षों में आईं आपदाओं में सैकड़ों की संख्या में जनहानि हुई और कई-कई गांव तबाह हो गए. आपदा का दंश झेल रहे उत्तराखंड की अगली बड़ी चुनौती इससे निपटने की है.

पिथौरागढ़ मालपा हादसा

वर्ष 1998 में सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील के मालपा हादसे में कैलाश मानसरोवर यात्रियों की मौत हो गई थी. इस हादसे में 55 कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं समेत करीब 255 लोगों की मौत हो गई थी. ये हादसा पहाड़ी से मलबा गिरने से हुआ था, जिसकी चपेट में गांव भी आ गया था.

पढ़ेंःउत्तराखंड ग्लेशियर हादसा : वाराणसी की गंगा आरती में मृतकों को श्रद्धांजलि

चमोली में भूकंप से आई थी त्रासदी

सीमांत जनपद चमोली भी वर्ष 1999 में भूंकप की त्रासदी झेल चुका है.चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. भूकंप के निशान आज भी देखे जा सकते हैं. भूकंप की वजह से जमीन में जगह-जगह दरारें आ गई थीं.

2013 केदारनाथ आपदा

वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा ने पूरे देश के जन मानस को हिला कर रख दिया था. इस जल प्रलय में कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. केदारनाथ आपदा में ताश के पत्तों की तरह भवन ढह गए और गाड़ियां पानी में बहती दिखाई दी थीं. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार 5,700 से अधिक लोग इस आपदा में जान गंवा बैठे थे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details