लुधियाना : पंजाब में जहां बीजेपी का कुनबा बढ़ता जा रहा है, वहीं कांग्रेस में नेताओं की भगदड़ मची है. कांग्रेस में यह स्थिति 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हुई, जब हरीश रावत को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया गया था. नवजोत सिद्धू को आगे लाने के चक्कर में कांग्रेस हाशिए पर चली गई. न सिर्फ पंजाब बल्कि दूसरे राज्यों में भी बड़े नेता कांग्रेस छोड़ रहे हैं और पार्टी इसकी कीमत चुका रही है. आज हालत यह है कि सुनील जाखड़, कैप्टन अमरिंदर, राणा गुरमीत सोढ़ी, हरजोत बैंस जेसै नेता कांग्रेस से बाहर हैं, जबकि सिद्धू को एक साल के लिए सजा हो गई है. ऐसे में क्या अगले 2 साल में पंजाब में कांग्रेस का भविष्य बदलेगा?
दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी कैप्टन अमरिंदर सिंह उन्हें दरकिनार करते रहे. 2017 में जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी, तब नवजोत सिंह सिद्धू को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. कैप्टन से अनबन के बाद सिद्धू ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद साढ़े चार साल तक कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस नवजोत सिद्धू को भाव नहीं दिया. मगर हरीश रावत के पंजाब प्रभारी बनने के साथ नवजोत सिंह सिद्धू फिर ताकतवर हुए. उन्होंने अपने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. नतीजतन कैप्टन को कुर्सी गंवानी पड़ी. हालांकि, सुनील जाखड़ ने कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थन करना जारी रखा. नए मुख्यमंत्री के चयन में सुनील जाखड़ की दावेदारी को भी पार्टी ने दरकिनार कर दिया. सुनील जाखड़ ने इसके लिए अंबिका सोनी को जिम्मेदार बताया था.
फिलहाल कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस की विदाई के साथ पार्टी छोड़ने वालों की लाइन लग गई. कई नेताओं ने केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ विद्रोही तेवर अपना लिए. रही सही कसर विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे ने पूरी कर दी. पुराने लोगों के टिकट कटने के बाद पार्टी के भीतर दरार और बढ़ गई. कांग्रेस के कद्दावर नेता राणा गुरमीत सोढ़ी भी भाजपा में शामिल हो गए. इसके अलावा समराला से कांग्रेस के पूर्व विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों ने पार्टी के खिलाफ निर्दलीय ताल ठोंक दिया. मलकीत सिंह दाखा ने भी पार्टी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी. सोनू सूद की बहन को मोगा से टिकट दिए जाने के बाद कांग्रेस के हरजोत बैंस ने बीजेपी का दामन थाम लिया.
बीजेपी ने कांग्रेस में हुई भगदड़ को मौके के तौर पर लिया. अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पंजाब लोक कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. भाजपा ने कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं को खुलेआम पार्टी में शामिल होने का न्यौता दिया. भले ही चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब में सरकार बनाई हो, लेकिन कांग्रेस छोड़ने वालों को पार्टी शामिल करा कर बीजेपी ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली.