गांधीनगर :कौन होगा गुजरात का सीएम? हर गुजराती एक-दूसरे से पूछ रहा था लेकिन अब ये साफ हो गया है कि भूपेंद्र पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए हैं. हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि बीजेपी यानी पाटीदार और पाटीदार यानी बीजेपी. सोमवार को नए सीएम का शपथ ग्रहण होगा.
भूपेंद्र पटेल को सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया. उनके नाम का प्रस्ताव इस्तीफा दे चुके सीएम विजय रूपाणी ने किया. विधायक दल की बैठक में भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद जोशी और पार्टी महासचिव तरुण चुग मौजूद थे. उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और राज्य के कृषि मंत्री आरसी फालदू, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और मनसुख मंडाविया, प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद रहे.
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हाल ही में खोदलधाम ट्रस्ट के चेयरमैन नरेश पटेल ने मुख्यमंत्री को पाटीदार बताकर विवाद खड़ा कर दिया था. अब ये सच हो गया है. बीजेपी में पाटीदार पावर का बोलबाला है. भूपेंद्र पटेल को पहली बार विधायक बनने के बाद सीएम का पद मिला है. अब पाटीदार समुदाय खुश होगा और जो पाटीदार कांग्रेस या आम आदमी पार्टी के साथ गए हैं, वे भाजपा में वापस आएंगे.
14 महीने का समय होगा चुनौतीपूर्ण
अगले 14 महीने नए सीएम भूपेंद्र पटेल के लिए बेहद अहम समय हैं. दिसंबर 2022 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए 14 महीने बचे हैं. इन 14 महीनों के लिए भूपेंद्र पटेल को पाटीदारों के दोनों कुलों यानी कडवा और लेउवा को बीजेपी के पक्ष में एकजुट करना होगा. लोकप्रिय कदम उठाने होंगे ताकि गुजरात के लोग भाजपा समर्थक बने रहें. संक्षेप में, भूपेंद्र पटेल के लिए 14 महीने बहुत कठिन होंगे और यह एक कांटेदार ताज होगा क्योंकि 2022 का चुनाव नए सीएम भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने 182 में से 182 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में बीजेपी के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती है.
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भूपेंद्र पटेल का बयान पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल
पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल पार्टी के मृदुभाषी कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने नगर पालिका स्तर से राज्य की राजनीति में अपनी जगह बनाई है. उन्होंने 2017 में अहमदाबाद के घाटलोदिया निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था और इसे 1.17 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीता था, जो उस चुनाव के दौरान एक रिकॉर्ड था. कई लोग प्यार से उन्हें दादा कहते हैं, उन्हें गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है. वह उस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जो केंद्रीय मंत्री अमित शाह के प्रतिनिधित्व वाली गांधीनगर लोकसभा सीट का हिस्सा है.
कई पदों पर किए हैं बेहतर काम
अतीत में उन्होंने 2015 और 2017 के बीच अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (AUDA) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. इससे पहले वे अहमदाबाद नगर निगम (AMC), गुजरात के सबसे बड़े शहरी स्थानीय निकाय के स्थायी समिति के अध्यक्ष भी थे. वे अपने करीबी लोगों के बीच मुस्कुराते हुए चेहरे के रूप में जाने जाते हैं और जो जमीनी स्तर से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं. विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले वे स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे और अहमदाबाद जिले में मेमनगर नगर पालिका के सदस्य बने, दो बार इसके अध्यक्ष के रूप में सेवा की. वह सरदार धाम विश्व पाटीदार केंद्र के ट्रस्टी भी हैं, जो पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समर्पित संगठन है.
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिले भूपेंद्र पटेल इनके नाम सीएम रेस में चल रहे थे
इससे पहले केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप तथा दादरा एवं नागर हवेली और दमन और दीव के प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल माना जा रहा था. एक राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री के लिए जिन नामों की अटकलें चल रही थी, उनमें कहीं भी एक बार के विधायक भूपेंद्र पटेल का नाम नहीं था. वह प्रभावशाली पटेल समुदाय से आते हैं, वहीं मांडविया भी पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
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