वाराणसीः बीएचयू के वैज्ञानिकों ने 3 माह के अंदर शोध करके फैटी लीवर रोग को दूर करने का उपाय खोज निकाला है. अब कम खर्च व बिना किसी साइडफेक्ट के आसानी से मरीजों को इस बीमारी से मुक्ति मिलेंगी. ये शोध काशी हिंदू विश्वविद्यालय के गैस्ट्रो एंटरोलॉजी व आयुर्वेद संकाय के द्रव्य गुण विभाग के नेतृत्व में किया गया है. इसके लिए विश्वविद्यालय को भारत सरकार ने सहयोग किया, जिससे वैज्ञानिकों को शोध में काफी मदद मिली है. वैज्ञानिकों ने तीन महीने मे इस शोध को पूरा किया है, जिसमें 97 मरीजों का परीक्षण हुआ है. ये परीक्षण गैर अल्कोहल फैटी लीवर रोग के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत शुरू किया गया है.
सरकार ने 2021 में शुरू किया था ये प्रोग्रामःबता दें कि एनएएफएलडी कार्यक्रम को भारत सरकार ने 2021 में राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत शुरू किया था. जिसका उद्देश्य गैर अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग के बारे में शोध कर इसके बेस्ट उपचार को निर्मित करना है. शोध में किए गए अध्ययन की माने तो देश में एनएएफएलडी के केस में लगभग 32 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि देखने को मिली है.
इस बारे में डॉक्टर सुनील कुमार ने बताया कि इस शोध में हमे चौंकाने वाले परिणाम देखने को मिले है. इस शोध के लिए हमने मरीजों को दो श्रेणियों में बांटा. पहली श्रेणी में मरीजों को कालमेघ (ग्रीन चिरायता) और मानक आहार व्यायाम करने की सलाह दी गई थी. वहीं, दूसरी श्रेणी के मरीजों को प्लेसबों दवा के साथ मानक आहार व व्यायाम करने को कहा गया है. तीन महीने तक किए गए इस परीक्षण ने हैरान करने वाले परिणाम दिए. इस शोध में कालमेघ खाने वाले मरीज की यकृत विकृति ठीक हुई हैं. मरीज के यूएसजी और फाइब्रोस्कैन स्कोर भी परिवर्तित हुए हैं और सबसे खास बात इसका कोई भी दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला.
महज दो रुपए में होगा इलाजःउन्होंने बताया कि इस शोध का एक महत्वपूर्ण पहलू इसका खर्च भी है. इस बीमारी के इलाज का खर्च हर किसी को हैरत में डाल सकता है. डॉक्टर कुमार बताते हैं कि इस अध्ययन का एक मुख्य उद्देश्य इसकी लागत को भी आंकना था. नए शोध में कालमेघ से इलाज में मरीज पर प्रतिदिन दो रुपए का खर्च आ रहा है. जबकि मानक इलाज का खर्च लगभग 39 रुपए प्रतिदिन आता था.
ये भी पढ़ेंःखतरा टला नहीं, देश में बने हुए हैं ओमीक्रोन और सब-वेरिएंट