Super Idea: एमपी के वैज्ञानिक ने गौ काष्ठ से बनाई बिजली, दुनिया में पहली बार चलाया गया कैप्टिव पावर प्लांट का ट्रायल रन - गोबर से तैयार किया ईको फ्रेंडली ईधन
Electricity From Cow Wood: मध्यप्रदेश के भोपाल के एक साइंटिस्ट ने गौ काष्ठ से बिजली बनाई है, जिससे 19 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया गया है. आइए जानते हैं वैज्ञानिक से कि उन्हें कैसे आइडिया आया और आखिर कैसे बनती है गौ काष्ठ से बिजली-
एमपी के वैज्ञानिक ने गौ काष्ठ से बनाई बिजली
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Published : Jul 1, 2023, 7:59 AM IST
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Updated : Jul 1, 2023, 9:53 AM IST
एमपी के वैज्ञानिक ने गौ काष्ठ से बनाई बिजली
भोपाल। 'गौ काष्ठ से बिजली' है ना सुपर आइडिया.. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साइंटिस्ट डॉ योगेन्द्र कुमार सक्सेना ने गौ काष्ठ से कैप्टिव पॉवर प्लांट चलाने का ट्रायल रन किया है और संभावनाएं पैदा कर दी हैं कि एक दिन गौ काष्ठ पर्यावरण को बचाने के साथ बिजली के उत्पादन का भी जरिया बनेगा. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्धमान फैब्रिक्स इंडस्ट्री, बुधनी के कैप्टिव पावर प्लांट मे कोल का रिडक्शन करके गौ काष्ठ से पावर प्लांट चलाने का ट्रायल रन किया. यह गौ काष्ठ का भारत में पावर प्लांट चलाने का पहला ट्रायल रन है. भारत ही नहीं पूरे विश्व में पहली बार गौ काष्ठ से कैप्टिव पावर प्लांट चलाया गया, इस प्रयोग के जरिए 19 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया गया.
वैज्ञानिक ने गौ काष्ठ से बनाई बिजली
गौ काष्ठ से बिजली, आइडिया कैसे आया:वैज्ञानिक डॉ योगेन्द्र कुमार सक्सेना गौ काष्ठ से बिजली के उत्पादन के लिए एक साल से शोध कर रहे थे. डॉ योगेन्द्र कहते हैं "गौ काष्ठ से अंतिम संस्कार की शुरुआत भी मैनें ही करवाई थी, तो मेरे दिमाग में ये विचार आया कि एक तरफ जब गौ काष्ठ से अंतिम संस्कार हो रहा है, लोहड़ी, होली में गौ काष्ठ जल रहा है तो इससे बिजली क्यों पैदा नहीं हो सकती." वैज्ञानिक डॉक्टर योगेन्द्र कुमार सक्सेना ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि "इस ट्रायल रन की सफलता बड़ी कामयाबी है, गौ काष्ठ पॉवर प्लांट में कोल की जगह एक अच्छा फ्यूल साबित होगा और इससे कोल रिडक्शन भी किया जा सकेगा. मेरी चिंता ये थी कि कोल रिसोर्स हमेशा नहीं रहेगा, इसमें हम कैसे अन्य फ्यूल मिलाएं."
गोबर से तैयार किया ईको फ्रेंडली ईधन
और जब सुना गौ काष्ठ, कोल की तरह रिएक्ट कर रहा है:वैज्ञानिक डॉ योगेन्द्र सक्सेना बताते हैं "हमने पॉवर प्लांट में कोल का रिडक्शन किया और गौ काष्ठ की फीडिंग बढ़ा दी. दिमाग में पूरे समय ये ख्याल था क्या ये प्रयोग सफल रहेगा? फीडिंग होती चली जा रही थी, गौ काष्ठ की मॉनिटरिंग हो रही थी. मैं क्ट्रोल रुम में गया, मैने वहां जाकर पूछा भाई ये बताओ पॉवर प्लांट कैसा चल रहा है? उस दौरान उनका एक शब्द था सिर्फ एक शब्द कि पॉवर प्लांट गौ काष्ठ की तरह रिएक्ट कर रहा है, हम सफल हो चुक थे. मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, गौ काष्ठ का कोल की तरह रिएक्ट करने का मतलब है कि हम सारे पॉवर प्लांट गौ काष्ठ से चला सकते हैं."
कैसे बनती है गौ काष्ठ से बिजली:वैज्ञानिक डॉ योगेन्द्र सक्सेना बताते हैं "पहले कोल आता है, बर्न होता है और स्टीम जनरेट होने के बाद टरबाईन घूमता है. टरबाईन से इलेक्ट्रिसिटी बनती है,अब गौ काष्ठ में हमने कोडिंग की फिर बकेट एलीवेटर के जरिए उसे कनवेयर बैल्ट के ऊपर ले जाया गया. कनवेयर बैल्ट से उसकी फीडिंग दो पाइंट से उस बायलर के अंदर की गई. उसके बाद तापमान जो मिला, उससे स्टीम जनरेट की. स्टीम से हमने बायलर को रोटेट किया है और बायलर से इलेक्ट्रिसिटी बनी. इसके अलावा जो स्टीम बचती है, वो स्टीम अदर प्लेसेस से चली जाती है. इससे कहा जा सकता है कि एक तरफ गौ काष्ठ के उपयोग से पेड़ कटने से बच रहा है और इस तरह के पॉवर प्लांट के जरिए कोल का रिडक्शन भी चालू हो गया है."