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MP Moti Baba Darbar: यहां एक मुट्ठी गेहूं में ठीक होता है टाइफाइड, 500 साल पुराना है मंदिर - भगवान विष्णु के अवतार हैं मोती बाबा

इस समय पूरे देश में बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चर्चा हो रही है. वहीं इससे परे एमपी की राजधानी भोपाल से करीब 50 किमी. दूर एक ऐसा मोती बाबा का दरबार है जहां सैकड़ों लोग भभूति और कलावा बांधने से टाइफाइड या यूं कहें मोतीझरा जैसी बीमारी से स्वस्थ हो रहे हैं. इसके लिए उन्हें अपने सिरहाने रखकर एक मुट्ठी गेहूं लाना होता है.

MP Moti Baba Darbar
यहां एक मुट्ठी गेंहू में ठीक होता है टाइफाइड

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Published : Jan 25, 2023, 8:35 PM IST

भोपाल। देशभर में बागेश्वर धाम दरबार की खासी चर्चा है. इसके अलावा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा भी दरबार है, जहां टाइफाइड जैसी बीमारी का इलाज होता है. दरबार लगाने वाले पंडा बाबा प्रतिदिन ऐसे सैकड़ों लोगों की पुकार सुनते हैं और मोती बाबा से प्रार्थना करते हैं कि उनका टाइफाइड ठीक कर दें. कमाल की बात यह है कि चमत्कारिक ढंग से टाइफाइड भी ठीक हो जाता है. इसके बदले में वे सिर्फ एक मुट्ठी गेहूं लेते हैं.

भगवान विष्णु के अवतार हैं मोती बाबाः पूरी कहानी जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम सीहोर स्थित उसी मंदिर पहुंची, जहां दरबार सजा हुआ था. राजधानी भोपाल से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित सीहोर जिले के पाठक रोड पर मोती बाबा मंदिर स्थित है. बताया जाता है कि करीब 500 वर्ष पुराना मंदिर है. कहा जाता है कि मोती बाबा भगवान विष्णु के अवतार हैं. उनके सामने पुकार लगाने से लोगों के दुख और दर्द का निवारण होता है. मंदिर के ठीक सामने रहने वाला है कुशवाह परिवार इसकी देखरेख करता है.

Bageshwar Dham धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थन में द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य

सुबह 11 बजे से लगाते हैं पंडा बाबा दरबारः इसी परिवार के मुखिया, जिन्हें सब लोग पंडा बाबा के नाम से जानते हैं. वह प्रतिदिन सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक और कई बार तीन बजे तक भी दरबार लगाते हैं. दरबार लगाने के पहले करीब 15 से 20 मिनट में पूजन पाठ करते हैं. इधर सुबह नौ बजे से लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है. इस दरबार में पहुंचने वालों में ना केवल सीहोर जिले के लोग बल्कि आसपास के जिले जैसे भोपाल, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, नर्मदापुरम, शाजापुर, देवास आदि के लोग भी सैकड़ों की तादाद में पहुंचते हैं. ये लोग अपनी बीमारी के बारे में पंडा बाबा को बताते हैं. पंडा बाबा उन्हें परहेज के बारे में बताते हैं और इलाज का तरीका भी बताते हैं.

ऐसे होता है यहां पर इलाजः यहां पहुंचने वालों में सबसे अधिक संख्या उन लोगों की है, जिनके परिजनों को टाइफाइड हो गया है. कमाल की बात है कि जिन्हें टायफाइड होता है, उन्हें यहां नहीं लाना पड़ता है. देसी भाषा में टाइफाइड को मोतीझरा बोला जाता है. जब यह बीमारी बिगड़ जाती है तो पीलिया में कन्वर्ट हो जाता है. डॉक्टरी इलाज के बाद हालात नहीं सुधरे तो लोग यहां पहुंचते हैं. इसके लिए उनको एक दिन पहले एक मुट्ठी गेहूं मरीज के ठीक सिराहने के नीचे रखना होता है. अगले दिन इसी गेंहू को लेकर वे मोती बाबा के मंदिर में चढ़ा देते हैं. यहां पंडा बाबा उनसे मरीज के हाल जानते हैं फिर बताते हैं कि मरीज को क्या-क्या नहीं खिलाना है और क्या खिलाना है. कलावा से बनी हुई एक बेल उनको दी जाती है. मंदिर में होने वाले हवन की भभूत भी निकाल कर दी जाती है और कहा जाता है कि तीसरे दिन आकर बताइएगा.

डॉक्टरों से न ठीक होने पर यहां पहुंचे लोग हुए स्वस्थः इस संबंध में जब लोगों से बात की तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनके कई लोगों का टाइफाइड यहां से ठीक हो गया है. भोजपुर से आई राधा साहू ने कहा कि उनके परिजन डॉक्टर से ठीक नहीं हुए तो यहां आए हैं. कई लोग ऐसे भी थे, जिनके परिजनों को टाइफाइड हुआ और वह यहीं से ठीक हुआ है. भोपाल की दीप्ति ने कहा कि उन्हें बताया गया तो वे यहां आई हैं. जब उनसे पूछा कि कई लोग इस तरह के दरबार को लेकर सवाल खड़े करते हैं तो उन्होंने कहा कि हमें जब फायदा हो रहा है तो इसे अंधविश्वास कैसे कह सकते हैं? ऐसे भी लोग मिले जिन्होंने कहा कि डॉक्टर से हमारे परिजन ठीक नहीं हुए, लेकिन यहां से ठीक हो गए.

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