भोपाल : अपनी मां के सुरक्षित गर्भ से बाहर निकलने के बाद वे नवजात शिशु अपनी नन्हीं आंखों से दुनिया को देख भी नहीं पाए थे कि यहां अस्पताल में लगी आग ने उनका जीवन छीन लिया.
भोपाल के सरकारी हमीदिया अस्पताल की विशेष नवजात शिशु इकाई में सोमवार की रात को आग लगने से चार शिशुओं की मौत हो गई. हादसे के वक्त इकाई में 40 नवजात शिशु भर्ती थे. इनमें से बचे 36 शिशुओं का दूसरे अलग-अलग वार्ड में उपचार किया जा रहा है.
एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि एक से नौ दिन के इन नवजात शिशुओं के माता-पिता अपनी संतानों के दुनिया में आने से बेहद खुश थे और शायद इनके नाम रखने पर विचार कर रहे होंगे लेकिन किसी को क्या पता था कि इस दुनिया में अब उन्हें केवल 'इरफाना का बच्चा', 'शिवानी का बच्चा', 'शाजमा का बच्चा' और 'रचना का बच्चा' के रूप में याद किया जायेगा.
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर, जल चुके चिकित्सा उपकरणों की राख और कालिख वार्ड में हुई भीषण त्रासदी की दास्तां बताने के लिए पर्याप्त है.
अस्पताल में आग लगने की सूचना मिलने के बाद तुरंत मौके पर पहुंचने वाले लोगों में शामिल प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने वार्ड के अंदर के दृश्य को 'बहुत डरावना' बताया.
भोपाल शहर में गांधी मेडिकल कॉलेज और हमीदिया अस्पताल के परिसर में स्थित कमला नेहरु बाल चिकित्सालय के एसएनसीयू में सोमवार रात आठ बजकर 35 मिनट पर आग लग गई. इस इमारत के दूसरी तरफ भोपाल की सुंदर बड़ी झील है.
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आग की खबर फैलते ही अस्पताल में कोहराम मच गया और चिंतित माता-पिता और परिजन अपने बच्चों को लेने और उन्हें बचाने के लिए वार्ड में घुसने की कोशिश करने लगे. सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. आग लगने के बाद धुआं वार्ड और इसके निकासी के रास्तों में भर गया। एक दमकल कर्मी ने बताया कि लोगों की अफरा-तफरी और धुएं के बीच वह किसी तरह घुटने के बल चलकर वार्ड तक पहुंचे.
डॉक्टर और नर्सों ने नवजात बच्चों को दूसरे वार्ड में स्थानांतरित करने का प्रयास किया और वह सभी 40 बच्चों को बाहर निकालने में सफल रहे लेकिन उनमें से चार शिशु नहीं बच सके जो कि पहले से ही गंभीर स्थिति में थे. बाद में कुछ शिशुओं के माता-पिता ने अपने बच्चों को दूसरे अस्पतालों में स्थानांतरित किया.
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