भोपाल। वतनपरस्ती का एक तरीका ये भी तो है कि सरहद पार अटक गए, भटक गए अपने देश के लोगों की सकुशल वतन वापसी करवा ली जाए. यूपी की पैदाइश और भोपाल में आकर बस गए आबिद हुसैन गुजरे 7 सालों से यही कर रहे हैं. दुनिया के किसी हिस्से से पुकार आई हो, आबिद हुसैन की पूरी कोशिश होती है कि ऐसे हर शख्स की आवाज विदेश मंत्रालय के साथ एम्बेसी तक पहुंचाई जाए. देश दुनिया की तमाम एम्बेसी के संपर्क अपने मोबाइल में लिए आबिद भाई का पूरा मेल बॉक्स ऐसी एप्लीकेशन से भरा होता है जिसमें दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फंसे भारतीयों की वापसी के लिए पत्राचार किया गया है. ये क्या जुनून है, कौन हैं ये बजरंगी भाई जान और कितने लोग हैं ऐसे जिनकी करवाई उन्होंने वतन वापसी.
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कराची जेल में बंद जितेन्द्र अर्जुनवार की कराई वतन वापिसी:आबिद हुसैन ने सबसे पहले तो 2016 में बाग्लादेश के रहने वाले रमजान नामक बच्चे को उसके घर पहुंचाया था जो भोपाल में फंस गया था. आबिद कहते हैं''उसी वक्त हमें ये ख्याल आया कि मेरे अपने वतन के लोग मेरे भाई भी तो दूसरे मूल्कों में फंसे होंगे. उनकी वतन वापसी कैसे होती होगी. उसी दौरान जितेन्द्र अर्जुनवार का मामला सामने आया. दिमागी रुप से कमजोर जितेन्द्र पाकिस्तान की कराची जेल में बंद था. बहुत लंबी लड़ाई लड़ी गई उसकी वापसी के लिए. लेकिन विदेश मंत्रालय के प्रयास से हमारा जितेन्द्र वापस आ गया. मैं लगातार जितेन्द्र की वतन वापसी के लिए अभियान छेड़ा रहा''. आबिद बताते हैं मैं ''असल में पुल की तरह काम करता हूं जो दुनिया के किसी भी हिस्से में जाकर फंस गए हैं उनकी आवाज सही जगह तक पहुंचाता हूं. एम्बेसी और मंत्रालय तक, ताकि समय पर उन्हें मदद पहुंचे और वो खैरियत से वतन लौट सकें''. आबिद अब तक 500 से ज्यादा लोगों की वतन वापसी करवा चुके हैं.