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भौम प्रदोष व्रत कल, शिव-पार्वती की अराधना से मिलेगी कर्ज से मुक्ति

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. कहते हैं भगवान शिव को प्रदोष व्रत अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं. भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा से जीवन में मंगल ग्रह के कारण मिलने वाले अशुभ प्रभाव में कमी आती है. मंगल ग्रह की शांति के लिए इस दिन व्रत रखकर शाम के समय हनुमान और भोलेनाथ की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है. 15 मार्च से मीन संक्रांति भी शुरू हो रही है.

bhom pradosh vrat
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Published : Mar 14, 2022, 10:20 AM IST

Updated : Mar 14, 2022, 11:40 AM IST

रांची:फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भौम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. इस दिन 15 मार्च 2022 की तिथि पड़ेगी, जिसमें भक्त भोम प्रदोष का व्रत रख सकते हैं. भौम प्रदोष को लेकर रांची के प्रख्यात पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि प्रदोष व्रत कई तरह के होते हैं और सभी व्रत के अपने-अपने मायने होते हैं. 15 मार्च को पड़ने वाला प्रदोष व्रत मंगलवार को है. मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं.
पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि भौम प्रदोष व्रत करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और भूमि गृह में सुख शांति की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान शिव तथा मां पार्वती का पूजन कर भक्त अपने जीवन में खुशहाली प्राप्त कर सकते हैं.

पंडित जितेन्द्र जी महाराज (वीडियो में)
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है. भौम प्रदोष व्रत के दिन भक्त इस मंत्र का जाप कर भगवान शिव और मां पार्वती का आराधना अवश्य करें. ओम ह्रोंग जुंग स:ओम अंगारकाये नम:पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि मंगलवार को पड़ने वाला भौम प्रदोष व्रत सभी राशि वाले जातकों के लिए अच्छा है. कर्क और सिंह राशि वाले जातकों के लिए प्रदोष व्रत काफी उत्तम माना जा रहा है, इसलिए इन दो राशि के जातक मंगलवार को पूरे विधि विधान से भगवान भोलेशंकर और माता पार्वती की पूजा करें.पूजा की विधि: भौम प्रदोष व्रत में पूजा करने की विधि कठिन नहीं है. भक्त अपनी श्रद्धानुसार इस व्रत के नियमों का पालन कर सकते हैं. सुबह उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद पूजा का संकल्प लें. भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की पूजा करें . शिवलिंग पर दूध दही, घी, मधु अर्पित करें. प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शिवलिंग पर तिल अवश्य चढ़ाएं. माना जाता है कि तिल अर्पित करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और कर्जों से मुक्ति मिलती है. मीन संक्रांति की भी होगी शुरुआत: 15 मार्च को धूम प्रदोष के साथ-साथ मीन संक्रांति की भी शुरुआत होती है. बता दें कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर वर्ष 12 संक्रांति होती है और हर महीने सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ नई संक्रांति शुरू हो जाती है. पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि जब सूर्यदेव राशि परिवर्तन करके मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो उस काल को मीन संक्रांति कहा जाता है. मीन संक्रांति को बहुत ही शुभ माना जाता है और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान करने से पुण्य मिलता है.

पंडित बताते हैं कि जब तक सूर्य देव मीन राशि में रहेंगे तब तक घर में कोई भी बड़ा पूजा आयोजन नहीं हो सकता है. यह एक माह तक रहेगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य देवता मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश कर जाएंगे तो फिर कोई भी बड़ा पूजा,शादी विवाह,गृह प्रवेश, यज्ञ,अनुष्ठान किया जा सकता है. मीन संक्रांति के मौके पर भगवान विष्णु का एक हजार बार नाम लेना चाहिए तथा 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' या 'ओम नमो नारायाणाय नमः' का जाप करना चाहिए.

Last Updated : Mar 14, 2022, 11:40 AM IST

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