दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है! जुनून ऐसा कि पेड़ों के नाम लिखा जीवन, लगाए हजारों पौधे

भिंड के 85 वर्षीय कन्हई बघेल का प्रकृति से विशेष लगाव है. अब तक 2 हजार से अधिक पौधे लगा चुके कन्हई, उम्र के इस पड़ाव में भी उतने ही जोश से पौधे लगाते हैं और अपने बच्चों की तरह इसकी देखभाल करते हैं. (Bhind Tree Man)

Bhind Tree Man
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है! जुनून ऐसा कि पेड़ों के नाम लिखा जीवन, लगाए हजारों पौधे

By

Published : Feb 12, 2022, 2:23 PM IST

भिंड: दबोह क्षेत्र में ग्राम बघेड़ी की एक ऐसी गुमनाम शख़्सियत हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन पर्यावरण सवांरने में लगा दिया. 85 साल के कन्हई बघेल ने अपने जीवनकाल में अब तक 2000 हजार से अधिक पौधे लगाए हैं. बघेड़ी गांव के कन्हई बघेल पर पेड़ लगाने का ऐसा जुनून सवार है कि लोगों ने उन्हें पागल तक करार कर दिया. लेकिन उनकी मेहनत रंग लायी आज उनके द्वारा रोपे गए पौधों में से करीब 1200 विशाल वृक्षों में बदल चुके हैं. पेड़-पौधे इनके लिए इनकी संतान से कम नहीं.

भिंड के गुमनाम ट्री मैन

भिंड के गुमनाम 'ट्री मैन'
दुनिया में कई लोग हैं जो पर्यावरण से बेहद लगाव रखते हैं, लेकिन जो प्रकृति से प्रेम में अपनी हदें पार करते हैं, क्षमता से ज़्यादा समर्पण रखते हैं उनकी अलग पहचान बनती है. समाज में कई ऐसे भी लोग हैं जिन्हें नाम होने या ना होने से कोई अंतर नहीं पड़ता. ऐसे ही शख़्स हैं भिंड ज़िले में रहने वाले कन्हई बघेल, आज जब लोग पौधा रोपण के नाम पर बड़े-बड़े नेता-अभिनेता तक फ़ोटो सेशन कराते नज़र आते हैं, वहीं बघेड़ी गांव के कन्हई बघेल ने चुपचाप बड़ी संख्या में पेड़ लगाने के बाद भी इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की कभी परवाह नहीं की. उन्होंने अपना जीवन प्रकृति के नाम कर दिया है. अपने जीवनकाल में 2 हज़ार से ज़्यादा पौधे लगा चुके कन्हई बघेल 85 वर्ष की आयु में भी पौधे उतने ही जतन से लगाते हैं.

श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने शुरू किया था पौधे लगाना

श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने शुरू किया था पौधे लगाना
पेड़ों की देखभाल उनकी दिनचर्या का हिस्सा है. बीते 50 सालों से नंगे पैर पेड़ों की सेवा करते आ रहे कन्हई कहते हैं कि वे शुरू से ही ग़रीबी भरा जीवन जीते आए हैं. पहले वो मज़दूरी करते और अपने बच्चों का परिवार का पेट पालते थे. एक दिन ख़याल आया की इस तरह वे कब तक जीवन गुज़ारेंगे, आगे बढ़ने के लिए क्या करेंगे. लोगों के पास खेती है, ज़मीन है. मजदूरी कर वो आगे नहीं बढ़ पाएंगे तो उन्होंने सोचा कि इस रास्ते को छोड़ कर विद्या मार्ग पकड़ना चाहिए, लेकिन विद्या पकड़ने के लिए भगवान को राज़ी करना था. इसलिए मन में ख़याल आया कि उन्हें पेड़ लगाने चाहिए, क्योंकि गीता में बताया गया है कि पेड़ लगाने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं. पेड़ लगाने का पुण्य अश्वमेध यज्ञ के सामान होता है.

भिंड के गुमनाम ट्री मैन

पौधारोपण का मिला पुण्य
कन्हई बाबा कहते हैं कि उन्होंने पेड़ लगाना शुरू किया तो इसका फ़ायदा भी दिखा. उनके तीन बेटे और एक बेटी है. तीनों को स्कूल और पढ़ाई का मन लगने लगा. रोकने पर भी बच्चे स्कूल जाते थे. उनकी मानें तो ज्ञान और बुद्धि के लिए किया गया प्रयास और पुण्य उनके बच्चों को मिला, जब उनके बच्चों की पढ़ाई पूरी हुई तो कन्हई ने एक और निर्णय लिया उन्होंने अपने जूते त्याग दिए और उस दिन के बाद से अब तक वे नंगे पांव ही रहते हैं.

करीब 1200 पौधे आज विशालकाय पेड़

कोई नाराज हुआ,किसी ने कहा- पागल
कन्हई बघेल के पास खुद की जमीन नहीं थी. वह श्मशान, देव मन्दिर, स्कूलों और तालाबों के किनारे अधिकतर पौधे रोपते आ रहे हैं. पौधे लगाने का जुनून इस तरह छाया की पूरे गांव में लोगों के घरों के बाहर चबूतरों पर भी पौधे रोपने लगे. कभी कभार तो लोगों के गुस्सा का भी शिकार होना पड़ा. किसी के खेत पर पौधे रोपने से डंडे व लाठियां भी खानी पड़ी. लेकिन फिर भी उन्होंने पौधे लगाने का सिलसिला जारी रखा. उनके जुनून को देखते हुए गांव के कई लोग उन्हें पागल तक कहने लगे. लेकिन इस जुनून की मिसाल खुद वे पेड़ हैं जो कभी पौधे थे लेकिन आज विशालकाय वृक्ष हैं.

कन्हई ने 2 हजार से ज्यादा लगाए पौधे

जिंदगी का हिस्सा पेड़ लगाना और उनकी देखभाल
कन्हई हर रोज सुबह 5 बजे साइकिल पर दो पानी के केन रखकर, साथ में कुल्हाड़ी लेकर नए पौधे रोपने और रोपे गए पौधों को पानी देने निकल जाते हैं. साथ ही झाड़ झक्कर लगाकर उसे सुरक्षित करते हैं, ताकि उनके लगाए पौधे कहीं कोई जानवर ना खा जाए. इतना ही नहीं, कन्हई बघेल गर्मियों में गांव के लावारिस गौवंश और अन्य जानवरों के पेयजल के लिए भी मंदिर के पास स्थित तालाबों को पानी से भरवाने के लिए निजी ट्यूबेल संचालक को पैसे देते हैं.

Bhind Tree Man

ये भी पढ़ें- आज से आम जनता के लिए खुला राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डन, जानिए क्या है टाइमिंग

‘हर किसी को जीवन में लगाने चाहिए 5 पेड़’
कक्षा दो तक पढ़े होने के बाद भी कन्हई बघेल को रामायण कंठस्थ याद है. प्रकृति प्रेमी कन्हई बघेल का कहना है कि उन्हें रामायण से पौधे लगाने की सीख मिली है. रामायण में भी उन्होंने पढ़ा की कैलाश पर्वत पर आम और बरगद का पेड़ लगाना, इसके अलावा रामायण में बरगद, पीपल, पाखर और आम के पेड़ लगाने की बात लिखी गयी है. उनका मानना है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में 5 पौधे लगाने चाहिए इससे उनके पूर्वजों को स्वर्ग मिलता है. इसलिए उन्होंने अपने जीवन मे पौधे रोपने का संकल्प लिया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details